Masik Karthigai 2023: आज मासिक कार्तिगाई पर इस समय करें महादेव की पूजा, पूरी होगी मनचाही मुराद
Masik Karthigai 2023 इस दिन देवों के देव महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई दीपम पर भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही सुख और समृद्धि में मनमुताबिक वृद्धि होती है। अतः आज के दिन साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव जी की पूजा करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 03 Oct 2023 07:00 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Masik Karthigai 2023: हर महीने कृतिका नक्षत्र के दिन मासिक कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है। तदनुसार, आज मासिक कार्तिगाई दीपम है। इस दिन देवों के देव महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई दीपम पर भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही सुख और समृद्धि में मनमुताबिक वृद्धि होती है। अतः आज के दिन साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव जी की पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा-दृष्टि के भागी बनना चाहते हैं, तो आज इस शुभ मुहूर्त में देवों के देव महादेव की पूजा करें। आइए, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-
पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी 04 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 33 मिनट तक है। इसके पश्चात, षष्ठी है। वहीं, कृतिका नक्षत्र संध्याकाल 06 बजकर 04 मिनट तक है। साधक संध्याकाल 06 बजकर 04 मिनट तक भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
पूजा विधि
दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। इस समय हथेली में जल रख आचमन करें। आचमन के दौरान निम्न मंत्रों का उच्चारण करें-ॐ केशवाय नम:ॐ नाराणाय नम:ॐ माधवाय नम:ॐ ह्रषीकेशाय नम:अब शिवजी को प्रिय श्वेत रंग के कपड़े पहनकर सबसे पहले सूर्य देव की पूजा करें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें-ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।इसके पश्चात, पूजा गृह में स्थापित पारस शिवलिंग की पूजा विधि-विधान से करें। अगर घर में पारस शिवलिंग स्थापित नहीं है,तो पूजा गृह में चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं। अब उस पर शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव को भांग, धतूरा, मदार के फूल, सफेद फूल आदि अर्पित करें। इस समय शिव चालीसा का पाठ और शिव मंत्र जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख और समृद्धि की कामना करें। संध्या काल में आरती-अर्चना कर दीप जलाएं।
डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'