Worship Peepal Tree: पीपल की पूजा का क्यों हैं इतना महत्व, पुराणों में बताई गई है इसकी महिमा
सनातन धर्म में कई अवसरों पर पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। चाहे वह अमावस्या हो या पूर्णिमा। वैज्ञानिक तौर पर भी इसका बहुत महत्व है क्योंकि पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है जो मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Worship Peepal Tree: हिंदू धर्म में प्रकृति का विशेष महत्व हैं। हिंदू धर्म में कई पेड़-पौधों को पूजनीय माना गया है। इन्हीं में से एक है पीपल का पेड़। इसे हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र पेड़ बताया गया है। पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी वास होता है। पुराणों में भी पीपल के पेड़ की महिमा बताई गई है।
पुराणों में पीपल का महत्व
पीपल के पेड़ के महत्व को इस श्लोक द्वारा समझा जा सकता है।
मूले विष्णु: स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च।नारायणस्तु शारवासु पत्रेषु भगवान् हरि:।।फलेऽच्युतो न सन्देह: सर्वदेवै: समन्व स एवं ष्णिुद्र्रुम एव मूर्तो महात्मभि: सेवितपुण्यमूल:यस्याश्रय: पापसहस्त्रहन्ता भवेन्नृणां कामदुघो गुणाढ्य:।।
इस श्लोक में वर्णन किया गया है कि पीपल के पेड़ की जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवता वास करते हैं। पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप है। महात्मा इस वृक्ष की सेवा करते हैं और यह वृक्ष मनुष्यों के सभी पापों को नष्ट करता है। इसके साथ ही पीपल में पितरों और तीर्थों का निवास होता है।
शनि दोष से मिलेगा छुटकारा
पीपल की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। इसके साथ ही अक्षय पुष्ण की प्राप्ति होती है।
पितृदोष से मिलती है मुक्ति
पीपल के पेड़ की जड़ में रोज जल देने से पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। साथ ही रोजाना पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। क्योंकि पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का निवास स्थान बताया गया है इसलिए इसकी पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
By- Suman Saini
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'