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Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Yogini Ekadashi 2023 धार्मिक मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत-उपवास करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इससे साधक पर विष्णुजी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से व्यक्ति द्वारा अनजाने में किए हुए सारे पापों का नाश होता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 14 Jun 2023 09:52 AM (IST)
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Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Yogini Ekadashi 2023: हर वर्ष आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी मनाई जाती है। इस प्रकार साल आज योगिनी एकादशी है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत-उपवास करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इससे साधक पर विष्णुजी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से व्यक्ति द्वारा अनजाने में किए हुए सारे पापों का नाश होता है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि योगिनी एकादशी व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-

एकादशी शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 13 जून को सुबह 09 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी और 14 जून सुबह 08 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः आज योगिनी एकादशी का व्रत है। साधक प्रातः काल में स्नान-ध्यान करने के पश्चात व्रत संकल्प लेकर विधि विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा उपासना करें।

पूजा विधि (Yogini Ekadashi Puja Vidhi)

योगिनी एकादशी व्रत नियम का पालन दशमी तिथि से करें। अतः दशमी तिथि पर लहसन, प्याज समेत तामसिक भोजन का सेवन न करें। अगले दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रणाम करें। इसके पश्चात, नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब आचमन कर व्रत संकल्प लें। इसके बाद भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें और निम्न मंत्र से जगत के पालनहार भगवान विष्णु का आह्वान करें-

॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥

अब भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा पीले रंग के फल, फूल, पुष्प, धूप, दीप, कपूर-बाती से करें। भगवान को प्रसाद में पीले रंग की मिठाई अर्पित करें। इसके बाद एकादशी व्रत कथा पाठ, विष्णु चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पारण करें।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'