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Chandra Grahan 2024: 17 या 18 सितंबर, कब लगेगा चंद्र ग्रहण? नोट करें सही डेट और सूतक का समय

धार्मिक मत कि चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2024) के दौरान पृथ्वी पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके लिए ग्रहण के समय मांगलिक कार्य न करें। इसके साथ ही खानपान से भी परहेज करें। वहीं राहु के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान विष्णु के नामों का मंत्र जप करें। चंद्र ग्रहण समापन के बाद स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 16 Sep 2024 09:15 PM (IST)
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Chandra Grahan 2024: चंद्र ग्रहण में क्या करें और क्या न करें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि एवं पूर्णिमा है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इसी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। इस वर्ष गणेश विसर्जन और अनंत चतुर्दशी तिथि पर विश्वकर्मा जयंती भी है। अतः भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि विशेष है। इसके अलावा, 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा भी है। ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद पूर्णिमा पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2024) लगने वाला है। वहीं, भाद्रपद पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को होगा। इसके चलते लोग चंद्र ग्रहण की सही डेट को लेकर दुविधा में है। आइए जानते हैं कि साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 17 सितंबर या 18 सितंबर को है-

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क्या होता है सूतक ?

ग्रहण के पूर्व समय को सूतक कहा जाता है। हालांकि, सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक समय में अंतर होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक 12 घंटे पूर्व से लगता है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्य ग्रहण पर 12 घंटे पूर्व से सूतक लगता है। वहीं, चंद्र ग्रहण पर 9 घंटे पूर्व सूतक शुरू होता है। ग्रहण दिखने पर सूतक मान्य होता है। अगर ग्रहण दिखाई नहीं देता है, तो सूतक नहीं लगता है।   

कब लगेगा चंद्र ग्रहण ?

ज्योतिषियों की मानें तो वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा पर लगने वाला है। चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसका अभिप्राय यह है कि चंद्र ग्रहण दिन के समय में लगेगा। इसके लिए सूतक भी मान्य नहीं होगा। इस दिन पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। व्यक्ति चंद्र ग्रहण के समापन के बाद स्नान-ध्यान के बाद पितरों का तर्पण कर सकते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।