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8 Chiranjeevi: जानिए कौन हैं वो 8 चिरंजीवी, जो पृथ्वी के अंत तक रहेंगे जीवित

हिंदू शास्त्रों के अनुसार ऐसे 8 चिरंजीवी मौजूद हैं जो अमर हैं और कलियुग में भी जीवित हैं। मान्यताओं के अनुसार उनका अस्तित्व पृथ्वी के अंत तक रहने वाला है। आइए जानते हैं कि उन्हें यह वरदान किस प्रकार प्राप्त हुए।

By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 14 May 2023 02:07 PM (IST)
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8 Chiranjeevi कौन हैं 8 चिरंजीवी जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। 8 Chiranjeevi: चिरंजीवी उसे कहा जाता है जो अमर होता है। अर्थात जिनका कभी अंत नहीं होता। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी पर ऐसे 8 चिरंजीवी मौजूद हैं जिसका अंत कभी नहीं होगा। इसमें से कुछ को ईश्वर द्वारा अमरता का वरदान दिया गया है तो कुछ श्राप के कारण अमर हो गए हैं। आइए जानते हैं कि ये चिरंजीवी कौन हैं।

प्रसन्न होकर माता सीता ने दिया वरदान

हनुमान जी को अमरता का वरदान माता सीता द्वारा दिया गया है। हनुमान जी जब प्रभु श्रीराम का संदेश लेकर सीताजी के पास अशोक वाटिका गए थे, तब सीताजी ने उनकी भक्ति और राम के प्रति समर्पण को देखते हुए यह वरदान दिया था। माना जाता की हनुमान जी आज भी पृथ्वी पर ही वास करते हैं और भगवान राम की भक्ति में लीन हैं।

अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण से मिला श्राप

कुछ लोगों का अमरता, श्राप के कारण प्राप्त हुई थी। इस सूची में अश्वत्थामा का नाम आता है। महाभारत के युद्ध के दौरान अपने पिता द्रोणाचार्य के वध का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने अनीति का सहारा लिया था। उसने पांडवों के सोते हुए पुत्रों का वध कर दिया था। जिसके बाद श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को यह श्राप दिया कि दुनिया के अंत तक वह घावों से लथपथ शरीर को लेकर भटकता रहेगा और उसके घावों से सदैव खून निकलता रहेगा। माना जाता है इस श्राप के कारण आज भी अश्वत्थामा पृथ्वी पर भटक रहा है।

राजा बलि से प्रसन्न हुए वामन भगवान

राजा बलि, भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद के वंशज हैं। विष्णु जी जब वामन भगवान का भेष धारण करके राजा बलि की परीक्षा लेने आए थे, तब राजा बलि ने वामन भगवान को अपना सब कुछ दान कर दिया था। इस बात से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें अमरता का वरदान दिया। माना जाता है आज भी राजा बलि  पाताल लोक में वास कर रहे हैं।

श्री राम ने विभीषण को सौंपी सोने की लंका

रावण के सबसे छोटे भाई, साथ ही राम के परम भक्त विभीषण को अमरता का वरदान भगवान राम ने दिया था। रावण के वध के बाद श्रीराम ने विभीषण को सोने की लंका सौंप दी और अमरत्व का वरदान दिया। माना जाता है आज भी विभीषण पृथ्वी लोक पर मौजूद हैं।

शिव के परम भक्त हैं परशुराम

परशुराम भगवान विष्णु के दसवें अवतार माने गए हैं। वे भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे और हमेशा तप में लीन रहते थे। उनकी भक्ति को देखकर स्वयं महादेव ने उन्हें अमरता का वरदान प्रदान किया था। परशुराम जी का उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है।

महान ऋषि थे कृपाचार्य

कृपाचार्य, कौरवों और पांडवों के गुरु हैं। महाभारत के युद्ध में ऋषि कृपाचार्य ने कौरवों की तरफ से सक्रिय भूमिका निभाई थी। उनका नाम परम तपस्वी ऋषियों में शामिल है। अपने इसी तप के कारण उन्होंने अमरता का वरदान प्राप्त किया था।

महाभारत के रचयिता वेदव्यास

महर्षि वेदव्यास चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) के रचनाकार हैं। वह सत्यवती और ऋषि पराशर के पुत्र हैं। उन्होंने 18 पुराणों की भी रचना की है। महाभारत जैसे विस्तृत ग्रंथ की रचना भी वेद व्यास द्वारा की गई है। इन्हें भी अमरता का वरदान प्राप्त है।

महामृत्यंज्य मंत्र की रचना करने वालेऋषि मार्कंडेय

ऋषि मार्कंडेय भी 8 चिरंजीवियों में से एक हैं। वह भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। शिव के अत्यंत शक्तिशाली महामृत्यंज्य मंत्र की रचना भी ऋषि मार्कंडेय ने की थी। वह अल्पायु लेकर जन्मे थे। लेकिन यमराज से उनके प्राणों की रक्षा करने के लिए स्वयं भगवान शिव अवतरित हुए। साथ ही महादेव ने ही उन्हें अमरता का वरदान भी दिया।

By- Suman Saini

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