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Aaj Ka Panchang 02 November 2024: आज है गोवर्धन पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पढ़ें दैनिक पंचांग

आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रात्रि 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 02 November 2024) और राहुकाल का समय जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 02 Nov 2024 08:32 AM (IST)
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Aaj Ka Panchang 02 November 2024: आज का पंचांग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aaj Ka Panchang 02 November 2024: आज गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। यह पूर्ण रूप से भगवान कृष्ण को समर्पित है। ऐसा कहा जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें धन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (Govardhan Puja 2024) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -

Aaj Ka Panchang 02 November 2024: आज का पंचांग -

पंचांग के अनुसार, आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रात्रि 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगी।

ऋतु - शरद

चन्द्र राशि - तुला

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 29 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 41 मिनट पर

चंद्रोदय - सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर

चन्द्रास्त - शाम 06 बजकर 11 मिनट पर

शुभ मुहूर्त

त्रिपुष्कर योग - रात्रि 08 बजकर 21 मिनट से सुबह 05 बजकर 58 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 50 मिनट से 05 बजकर 42 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक।

अशुभ समय

राहु काल - सुबह 09 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 39 मिनट तक

गुलिक काल - सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक।

दिशा शूल - पूर्व

ताराबल

भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।

चन्द्रबल

मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर।

गोवर्धन पूजा के मंत्र

  • ॐ कृष्णाय नमः।।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।।
  • ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
  • शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् । वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।