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Aaj Ka Panchang 15 November 2024: देव दीवाली आज, नोट करें शुभ मुहूर्त, पढ़ें पंचांग

आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि देर रात 02 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 15 November 2024) और राहुकाल का समय जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 15 Nov 2024 06:00 AM (IST)
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Aaj Ka Panchang 15 November 2024: आज का पंचांग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dev Diwali Aaj Ka Panchang 15 November 2024: आज देव दीवाली का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व पूर्ण रूप से भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और शिव जी को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो भक्त इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें धन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन ( Dev Diwali 2024) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -

Aaj Ka Panchang 15 November 2024: आज का पंचांग -

पंचांग के अनुसार, आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि देर रात 02 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।

ऋतु - शरद

चन्द्र राशि - मेष

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 25 मिनट पर

चंद्रोदय - शाम 04 बजकर 44 मिनट पर

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक।

अशुभ समय

राहु काल - दोपहर 02 बजकर 53 मिनट से 04 बजकर 12 मिनट तक

गुलिक काल - सुबह 08 बजकर 10 मिनट से 09 बजकर 32 मिनट तक।

दिशा शूल - पश्चिम

ताराबल

अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद।

चन्द्रबल

मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ।

देव दीवाली पूजन मंत्र

1. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

2. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

3. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।