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Aaj Ka Panchang 17 November 2024: दिन की शुरुआत से पहले नोट करें शुभ मुहूर्त और पढ़ें दैनिक पंचांग

आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि रात्रि 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 17 November 2024) और राहुकाल का समय जानते हैं।

By Jagran News Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 17 Nov 2024 08:53 AM (IST)
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Aaj Ka Panchang 17 November 2024: आज का पंचांग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Margashirsha Month Aaj Ka Panchang 17 November 2024: आज रविवार का दिन है। यह दिन पूर्ण रूप से भगवान सूर्य को समर्पित है। ऐसा कहा जाता कि जो भक्त इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें धन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (Sunday Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -

Aaj Ka Panchang 17 November 2024: आज का पंचांग -

पंचांग के अनुसार, आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि रात्रि 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगी।

ऋतु - शरद

चन्द्र राशि - वृषभ

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 43 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 24 मिनट पर

चन्द्रोदय - शाम 06 बजकर 29 मिनट पर

चन्द्रास्त - सुबह 08 बजकर 20 मिनट पर

शुभ मुहूर्त

द्विपुष्कर योग - शाम 05 बजकर 22 मिनट से रात्रि 09 बजकर 06 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 59 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 26 मिनट से 05 बजकर 53 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक।

अशुभ समय

राहु काल - 04 बजकर 11 मिनट से 05 बजकर 33 मिनट तक

गुलिक काल - दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से 04 बजकर 12 मिनट तक।

दिशा शूल - पश्चिम

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद।

चन्द्रबल

वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन।

सूर्य देव पूजन मंत्र

1. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।।

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ।।

3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।