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Aaj Ka Panchang 28 October 2024: आज है रमा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पढ़ें दैनिक पंचांग

आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 28 October 2024) और राहुकाल का समय जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 28 Oct 2024 06:46 AM (IST)
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Aaj Ka Panchang 28 October 2024: आज का पंचांग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aaj Ka Panchang 28 October 2024: आज रमा एकादशी है। यह पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें धन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -

Aaj Ka Panchang 28 October 2024: आज का पंचांग -

पंचांग के अनुसार, आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगी।

ऋतु - शरद

चन्द्र राशि - सिंह

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 26 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट पर

चंद्रोदय - देर रात 03 बजकर 42 मिनट पर

चन्द्रास्त - दोपहर 03 बजकर 27 मिनट पर

शुभ मुहूर्त

अमृत काल - सुबह 08 बजकर 12 मिनट से 10 बजे तक

ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 39 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक।

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अशुभ समय

राहु काल - सुबह 07 बजकर 56 मिनट से 09 बजकर 20 मिनट तक

गुलिक काल - दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक।

दिशा शूल - पूर्व

ताराबल

अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद।

चन्द्रबल

मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुंभ, मीन।

श्री हरि पूजन मंत्र 

1.ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

2. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् । वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।