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Aaj ka Panchang 30 Oct 2323: आज मासिक कार्तिगाई पर हो रहा है 'वरीयान' योग का निर्माण, पढ़ें पंचांग और राहुकाल

Aaj ka Panchang 30 October 2023 पंचांग के अनुसार आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि रात 10 बजकर 20 मिनट तक है। इसके बाद तृतीया तिथि शुरू हो जाएगी। आज सोमवार है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। आज सर्वार्थ सिद्धि योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए पढ़ते हैं आज का पंचांग-

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 30 Oct 2023 06:00 AM (IST)
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Aaj ka Panchang 30 October 2323: आज मासिक कार्तिगाई पर हो रहा है 'वरीयान' योग का निर्माण
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Aaj ka Panchang 30 October 2023: आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। आज मासिक कार्तिगाई के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। आज कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए आज के पंचांग से शुभ मुहूर्त, राहुकाल, दिशाशूल और पूजा के सही समय के बारे में सबकुछ जानते हैं-

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 17 बजकर 38 मिनट पर

चंद्रोदय- शाम 06 बजकर 37 मिनट पर

चंद्रास्त- सुबह 07 बजकर 55 मिनट पर

पंचांग

ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल - सुबह 07 बजकर 55 मिनट से दोपहर 09 बजकर 18 मिनट तक

गुलिक काल - दोपहर 01 बजकर 28 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक

दिशा शूल - पूर्व

ताराबल

भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल

मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ

शिव जी की आरती:

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।