Abujh Muhurat: ये हैं साल के पांच ऐसे दिन, जिन पर बिना पंचांग देखे किए जा सकते हैं शुभ कार्य
Shubh Muhurat सनातन धर्म में कोई भी शुभ या मांगलिक पंचांग में शुभ समय देखे बिना नहीं किया जाता चाहे वह विवाह हो या गृह प्रवेश। प्रत्येक वर्ष में कुछ ऐसे मुहूर्त होते हैं जिन पर बिना शुभ समय देखे शुभ या मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। इसलिए इन्हें अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि वह तिथियां कौन-सी हैं।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Thu, 23 Nov 2023 01:52 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली Auspicious Time: हिंदू शास्त्रों में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व बताया गया है। कोई भी शुभ कार्य बिना शुभ मुहूर्त के करना अच्छा नहीं माना जाता। वहीं अगर शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाए तो इससे साधक को दोगुना फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में कुछ ऐसी तिथियां भी होती हैं, जिन पर मुहूर्त देखने की कोई जरूरत नहीं रहती। ऐसी तिथियों को अबूझ मुहूर्त या 'स्वयं सिद्ध मुहूर्त' कहा जाता है।
शुभ मुहूर्त का महत्व
सनातन धर्म में शुभ समय या शुभ मुहूर्त का बहुत ही अधिक महत्व है। धर्म-कर्म के कार्यों में मुहूर्त जरूरी रूप से देखा जाता है। माना जाता है कि इन मुहूर्तों को देखकर किया गया कार्य हमेशा शुभता लाता है। साथ ही शुभ मुहूर्त देखकर किए गए कार्यों में व्यक्ति को हमेशा सफलता मिलती है।
ये हैं पांच स्वयं सिद्ध मुहूर्त
कुल पांच स्वयं सिद्ध मुहूर्त माने गए हैं। जिसमें फुलेरा दूज, वसंत पंचमी, विजया दशमी, अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी शामिल हैं। यह पांच दिन अपने आप में ही सिद्ध मुहूर्त हैं इसलिए इन दिनों में कोई मुहूर्त न होते हुए भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं या फिर कोई भी नया कार्य शुरू किया जा सकता है।क्या है इन दिनों का महत्व
फुलेरा दूज - फुलेरा दूज जिसे फुलेरा दौज भी कहा जाता है। इस दिन पर श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ फूलों की होली खेली जाती है। यह दिन सगाई या विवाह के लिए सर्वोत्तम माना गया है।वसंत पंचमी - वसंत पंचमी माघ माह की शुक्ल पंचमी के दिन मनाई जाती है। इस तिथि पर बुद्धि देने वाली देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इसे भी एक अबूझ मुहूर्त माना गया है।
विजयादशमी - विजयादशमी जिसे दशहरा भी कहा जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन पर भगवान राम ने रावण का वध किया था।अक्षय तृतीया - अक्षय तृतीया को बहुत ही शुभ दिन माना गया है। इस दिन पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन को भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
देवउठनी एकादशी - हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि कार्तिक माह की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु 4 महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं। इसलिए यह भी एक अबूझ मुहूर्त माना गया है। डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'