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Akshaya Navami 2023: अक्षय नवमी के दिन पूजा के समय पढ़ें ये व्रत कथा, दूर होंगे सभी दुख और संताप

Akshaya Navami 2023 धार्मिक मत है कि आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ये व्रत कथा अवश्य पढ़ें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 20 Nov 2023 03:14 PM (IST)
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Akshaya Navami 2023: अक्षय नवमी के दिन पूजा के समय पढ़ें ये व्रत कथा, दूर होंगे सभी दुख और संताप
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Akshaya Navami 2023: कल अक्षय नवमी है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही आंवला पेड़ के नीचे भोजन भी पकाया जाता है। इस पर्व को आंवला नवमी और इच्छा नवमी भी कहा जाता है। धार्मिक मत है कि आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ये व्रत कथा अवश्य पढ़ें।  

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शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर को देर रात 03 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 22 नवंबर को देर रात 01 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी।

व्रत कथा

सनातन शास्त्रों की मानें तो चिरकाल में सुख-समृद्धि की दात्री मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण करने हेतु धरा पर आईं। उस समय उन्होंने पृथ्वी पर देखा कि सभी लोग भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना कर रहे हैं। यह देख उनके मन में भी दोनों देवों की पूजा करने का ख्याल आया। हालांकि, दोंनो देवों की एक साथ कैसे पूजा की जाए, यह सोच मां लक्ष्मी विचार मग्न हो गईं।

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कुछ पल विचार मग्न होने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि धरा पर तो दोनों देवों की एकसाथ पूजा केवल और केवल आंवले पेड़ के सन्मुख की जा सकती है। ऐसा कहा जाता है कि आंवला में बेल और तुलसी दोनों गुण पाए जाते हैं।

इसके पश्चात, मां लक्ष्मी ने विधि-विधान से आवंले पेड़ (भगवान शिव और विष्णु जी) की पूजा की। मां लक्ष्मी की भक्ति देख दोनों देव प्रकट हुए। उस समय मां लक्ष्मी ने आंवला पेड़ के पास भोजन पकाया और दोनों देवों को भोजन कराया। उस समय से हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है।

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