कार्तिक नवमी के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 09 नवंबर को रात्रि 10 बजकर 45 मिनट पर प्रारम्भ हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 10 नवंबर को रात्रि 09 बजकर 01 मिनट पर होगा। ऐसे में अक्षय नवमी रविवार 10 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ समय कुछ इस प्रकार रहने वाला है -अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय - सुबह 06 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक
'अष्टलक्ष्मी स्तोत्र'
आद्य लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये,
मुनिगण वंदित मोक्ष प्रदायिनी, मंजुल भाषिणी वेदनुते।पंकजवासिनी देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, आद्य लक्ष्मी परिपालय माम्।।
धान्यलक्ष्मी
असि कलि कल्मष नाशिनी कामिनी, वैदिक रूपिणी वेदमयी,क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि, मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते।मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।
धैर्यलक्ष्मी
जयवर वर्षिणी वैष्णवी भार्गवी, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्र,सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते।
भवभयहारिणी पापविमोचिनी, साधु जनाश्रित पादयुते,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।यदि आप अक्षय नवमी के दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपको भगवान विष्णु की कृपा के साथ-साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त हो सकती है। जिससे जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती।
गजलक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनी कामिनी, सर्व फलप्रद शास्त्रीय,
रथ गज तुरग पदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते।हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणी पादयुते,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम्।।
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संतानलक्ष्मी
अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि, राग विवर्धिनि ज्ञानमये,
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते।सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम्।।यह भी पढ़ें -
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विजयलक्ष्मी
जय कमलासिनी सद्गति दायिनी, ज्ञान विकासिनी ज्ञानमयो,अनुदिनम र्चित कुमकुम धूसर, भूषित वसित वाद्यनुते।कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शंकरदेशिक मान्यपदे,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विजयलक्ष्मी परिपालय माम्।।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु, आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इसलिए इस तिथि पर आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है। साथ ही इस दिन किए गए कार्यों का पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।
विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोक विनाशिनी रत्नम,मणिमय भूषित कर्णभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे।नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्।।यह भी पढ़ें -
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धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्दिमि धिन्दिमि, दिन्धिमि दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये,घुमघुम घुंघुम घुंघुंम घुंघुंम, शंख निनाद सुवाद्यनुते।वेद पुराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते,जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम्।।अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।विष्णु वक्ष:स्थलारूढ़े भक्त मोक्ष प्रदायिनी।।शंख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जय:।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मंगलम् शुभ मंगलम्।।।।इति श्रीअष्टलक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
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