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Hariyali Amavasya 2024: हरियाली अमावस्या पर इस विधि से करें पूजा, नोट करें शुभ योग और पूजन सामग्री

हरियाली अमावस्या हिंदू धर्म में बहुत खास मानी जाती है। इस दिन लोग भगवान शिव के साथ माता-पार्वती की पूजा करते हैं। इसके साथ ही यह गंगा स्नान दान-पुण्य पितरों का तर्पण के लिए भी बहुत अच्छा माना जाता है। कहा जाता है कि यह दिन स्नान और दान के लिए बहुत अच्छा होता है। यह हर साल सावन के महीने में मनाई जाती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 04 Aug 2024 09:00 AM (IST)
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Amavasya 2024: अमावस्या पूजन के नियम -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमावस्या का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। अमावस्या वह दिन है, जब लोग अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना करते हैं और उनके लिए तर्पण करते हैं। यह दिन पितरों की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस तिथि पर पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भरा रहता है।

साथ ही सभी कार्य में सफलता प्राप्त होती है। वहीं, अगर आप चाहते हैं, कि आपकी पूजा में किसी प्रकार का विघ्न न पड़े तो आइए अमावस्या की पूजा विधि जानते हैं।

अमावस्या पूजन सामग्री

भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर, गंगाजल, दूध, दही, शहद, देसी घी, धतूरा के फूल, बेलपत्र, चंदन, दीपक, पूजा के बर्तन, पूजा का थाल, धूप, फल, मौसमी फल, मिठाई, नैवेद्य आदि।

अमावस्या पूजन नियम

  • सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करें या घर पर ही अपने स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर पवित्र स्नान करें।
  • पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले घर को साफ करें।
  • ब्राह्मण के लिए सात्विक भोजन बनाएं।
  • परिवार के बड़े सदस्य ब्राह्मण को आमंत्रित करें और पितृ तर्पण करें।
  • ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा के साथ कपड़े और जूते आदि भी दान करें।
  • ब्राह्मण के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
  • गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को खाना खिलाएं।
  • बाद में सात्विक भोजन करके अपना व्रत खोलें।
  • इस तिथि की पूजा मध्याह्न काल के दौरान की जाती है,क्योंकि यह विशेष अवधि पितरों को समर्पित है।
  • इस दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह वर्जित है।
  • शाम के समय मंदिर जाएं और सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं।

शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल हरियाली अमावस्या 4 अगस्त को यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस दिन भोर से ही शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही इस तिथि पर रवि पुष्य योग और पुष्य नक्षत्र भी बनेगा। यह योग दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।