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Annaprashan Sanskar: अन्नप्राशन में बच्चे को सबसे पहले क्या खिलाएं, जिससे बना रहे देवताओं का आशीर्वाद

हिंदू धर्म में 16 संस्कार बताए गए हैं जिनका पालन व्यक्ति के जन्म से लेकर उनके जीवन के समापन तक किया जाता है। इनमें से एक होता है अन्नप्राशन संस्कार। यह सातवां संस्कार होता है जिसमें बच्चा पहली बार अन्न ग्रहण करता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस संस्कार के दौरान बच्चें को सबसे पहले क्या खिलाना चाहिए?

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 27 Jul 2024 12:27 PM (IST)
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Annaprashan Sanskar: अन्नप्राशन में बच्चे को सबसे पहले क्या खिलाना चाहिए (Picture Credit: Freepik)

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों को विशेष महत्व दिया जाता है। इसी प्रकार सातवां संस्कार यानी अन्नप्राशन संस्कार भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पहले बालक केवल अपनी मां के दूध पर निर्भर करता है। लेकिन इस संस्कार के बाद ही बच्चा पहली बार अन्न ग्रहण करता है।

क्यों जरूरी है अन्नप्राशन संस्कार

अन्नप्राशन शब्द का अर्थ है अनाज का सेवन करने की शुरुआत। शरीर व बुद्धि के विकास के लिए अन्न बहुत जरूरी माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में इस संस्कार का विशेष महत्व माना गया है। जब बच्चा छह या सात महीने का हो जाता है, तब उसका अन्नप्राशन संस्कार करना चाहिए, क्योंकि इस समय तक बच्चे के दांत निकल आते हैं और वह हल्का अनाज पचा पाते हैं।

सबसे पहले खिलाएं ये चीज

अन्नप्राशन संस्कार के अन्तर्गत सबसे पहले चावल की खीर बनाकर देवी-देवताओं को इसका भोग लगाया जाता है। इसके बाद बच्चे को चांदी के कटोरी और चम्मच से प्रसाद के रूप में ये खीर चटाई जाती है। चावल को देवों का अन्न माना गया है। इसलिए अन्नप्राशन संस्कार के दौरान चावल की खीर खिलाई जाती है। इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

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करें इस मंत्र का जाप

अन्नप्राशन संस्कार के दौरान बच्चे को अन्न ग्रहण करवाते समय इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

शिवौ ते स्तां व्रीहियवावबलासावदोमधौ।

एतौ यक्ष्मं वि वाधेते एतौ मुञ्चतो अंहसः॥

इस श्लोक का अर्थ है कि हे 'बालक! जौ और चावल तुम्हारे लिए बलदायक तथा पुष्टिकारक हों। क्योंकि ये दोनों वस्तुएं यक्ष्मा-नाशक हैं तथा देवान्न (देवताओं का अन्न) होने से पापनाशक हैं।'

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।