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Ardhnarishwar Bhagwan: बड़ा अनोखा है भगवान शिव का ये रूप, इस तरह अस्तित्व में आए अर्धनारीश्वर

Ardhnarishwar Bhagwan भगवान शिव अति भोले हैं इसलिए उन्हें भोलेनाथ की उपमा दी गई है। वहीं देवो के देव होने के कारण उन्हें महादेव कहा जाता है। उसी तरह भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप दर्शाता है कि स्त्री और पुरुष एक दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है। मान्यताएं हैं कि इसी रूप के फलस्‍वरूप संसार में सभी प्राणियों में नर-मादा हुए।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 04 Jul 2023 12:54 PM (IST)
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Ardhnarishwar bhagwan किस तरह अस्तित्व में आए अर्धनारीश्वर भगवान।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ardhnarishwar Bhagwan: भारत में भगवान शिव के कई रूपों की पूजा की जाती है। इन्हीं में से एक स्वरूप है अर्धनारीश्वर। जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है इसका अर्थ  है कि आधी स्त्री और आधा पुरुष। शिवजी के इस स्वरूप के आधे भाग में पुरुष और आधे भाग में स्त्री रूपी उमा यानी शक्ति नजर आती है। आइए जानते हैं कि उन्होंने स्त्री रूप धारण क्यों किया।

अर्धनारीश्वर शिव का रहस्य

जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो वह इस बात को लेकर चिंतित थे कि अब इसका विस्तार कैसे होगा। उसी समय आकाशवाणी हुई ब्रह्मन्!  मैथुनी (प्रजनन) सृष्टि की रचना करो। आकाशवाणी सुनकर ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि रचने का निश्चय तो कर लिया, किंतु उस समय तक नारियों की उत्पत्ति न होने के कारण वे अपने निश्चय में सफल नहीं हो सके। तब ब्रह्माजी ने सोचा कि भगवान शिव की ही इसका हल निकाल सकते हैं। अतः वे उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करने लगे।

उनके तीव्र तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिए। उसके बाद शिवजी ने अपने शरीर के आधे भाग से उमा देवी को अलग कर दिया। इस तरह शिव से शक्ति अलग हुईं और फिर शक्ति ने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की। जिसका जन्म दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में हुआ।

अर्धनारीश्वर भगवान की पूजा का महत्व

सावन के तीसरे सोमवार को अर्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इनकी विशेष पूजन से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप के पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

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