Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ अमावस्या पर करें ये उपाय, पितृ होंगे प्रसन्न, जीवन होगा सुखमय
सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का बेहद खास महत्व है। इसमें आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya Pitra Tarpan Vidhi) के उपाय का वर्णन किया गया है। माना जाता है कि इन उपाय को करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है और पितृदोष से छुटकारा मिलता है। चलिए जानते हैं आषाढ़ अमावस्या के दिन किन उपाय के द्वारा पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ashadha Amavasya 2024: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस खास अवसर पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान किया जाता है। साथ ही श्री हरि और पितरों की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि पितृ तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा व्यक्ति पर सैदव बनी रहती है।
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आषाढ़ अमावस्या के उपाय (Ashadha Amavasya Ke Totke)
- आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु और पितरों की पूजा करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस उपाय को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
- आषाढ़ अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। अमावस्या के दिन इस पेड़ के पास दीपक जलाकर 11 बार परिक्रमा करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस उपाय को करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- शास्त्र के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद काले तिल को उसमें प्रवाहित करते हैं। कहा जाता है कि इस उपाय को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही वे खुश होते हैं।
आषाढ़ अमावस्या 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Ashadha Amavasya 2024 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि 05 जुलाई 2024 को सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 06 जुलाई को 04 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या का पर्व 05 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा।
इन मंत्रों का करें जप
1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
3. ॐ पितृ देवतायै नम:।
4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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