Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ अमावस्या पर करें इस चालीसा का पाठ, होगा सभी संकटों का नाश

आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन लोग पूर्वजों से जुड़े विभिन्न पूजा अनुष्ठान करते हैं। साथ ही दान-पुण्य और गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। इस महीने अमावस्या 5 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस मौके (Ashadha Amavasya 2024) पर गंगा जी की पूजा से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 04 Jul 2024 01:53 PM (IST)
Hero Image
Ashadha Amavasya 2024: गंगा चालीसा का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ अमावस्या हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक मानी जाती है। यह दिन पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। इस तिथि पर लोग पूर्वजों से जुड़े विभिन्न पूजा अनुष्ठान करते हैं। साथ ही दान-पुण्य और गंगा स्नान करते हैं। इस महीने अमावस्या 5 जुलाई, 2024 को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस मौके (Ashadha Amavasya 2024) पर गंगा जी की पूजा जरूर करनी चाहिए।

ऐसा कहा जाता है इससे सभी पाप धुल जाते हैं। इसके अलावा इस अवसर पर 'गंगा चालीसा का पाठ' भी बेहद शुभ माना जाता है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं -

यह भी पढ़ें: Guru Purnima 2024: इस दिन मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, जानें इसका धार्मिक महत्व और नियम

॥गंगा चालीसा॥

''दोहा''

जय जय जय जग पावनी,

जयति देवसरि गंग।

जय शिव जटा निवासिनी,

अनुपम तुंग तरंग॥

।।चौपाई।।

जय जय जननी हरण अघ खानी।

आनंद करनि गंग महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता।

कलिमल मूल दलनि विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी।

भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु साजे।

लखि शत शरद चंद्र छवि लाजे॥

वाहन मकर विमल शुचि सोहै।

अमिय कलश कर लखि मन मोहै॥

जड़ित रत्न कंचन आभूषण।

हिय मणि हर, हरणितम दूषण॥

जग पावनि त्रय ताप नसावनि।

तरल तरंग तंग मन भावनि॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधाना।

तिहूं ते प्रथम गंगा स्नाना॥

ब्रह्म कमंडल वासिनी देवी।

श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साठि सहस्त्र सागर सुत तारयो।

गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भावन।

लखि तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवट।

धरयौ मातु पुनि काशी करवट॥

धनि धनि सुरसरि स्वर्ग की सीढी।

तारणि अमित पितु पद पिढी॥

भागीरथ तप कियो अपारा।

दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई।

शम्भु जाटा महं रह्यो समाई॥

वर्ष पर्यंत गंग महारानी।

रहीं शम्भू के जटा भुलानी॥

पुनि भागीरथी शंभुहिं ध्यायो।

तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भइ त्रय धारा।

मृत्यु लोक, नाभ, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावति नामा।

मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनि।

कलिमल हरणि अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी।

धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी।

धनि सुरसरित सकल भयनासिनी॥

पान करत निर्मल गंगा जल।

पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पूर्व जन्म पुण्य जब जागत।

तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही।

तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन काहू न तारे।

तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजनहू से जो ध्यावहिं।

निशचाई विष्णु लोक पद पावहिं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै।

विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशै॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना।

धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुण गुणन करत दुख भाजत।

गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगाहि नेम सहित नित ध्यावत।

दुर्जनहुँ सज्जन पद पावत॥

बुद्दिहिन विद्या बल पावै।

रोगी रोग मुक्त ह्वै जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं।

भूखे नंगे कबहु न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई।

श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महाँ अधिन अधमन कहँ तारें।

भए नर्क के बंद किवारें॥

जो नर जपै गंग शत नामा।

सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहिं।

आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनी।

धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

कंकरा ग्राम ऋषि दुर्वासा।

सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा।

मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

।।दोहा।।

नित नव सुख सम्पति लहैं।

धरें गंगा का ध्यान।

अंत समय सुरपुर बसै।

सादर बैठी विमान॥

संवत भुज नभ दिशि ।

राम जन्म दिन चैत्र।

पूरण चालीसा कियो।

हरी भक्तन हित नैत्र॥

यह भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश को इन भोग से करें प्रसन्न, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।