Ashadha Purnima 2024: आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें ध्यान, नोट करें सही नियम
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार यह 21 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन लोग ज्यादा से ज्यादा धार्मिक कार्य करते हैं। इसके साथ ही इस दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान का भी खास महत्व है। ऐसा माना जाता है इससे श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है। वहीं इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विधान है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी। यह दिन श्री हरि विष्णु, देवी लक्ष्मी, चंद्र देव और शिव पूजन के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि यह समय स्नान-दान और पूजा-पाठ के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यही कारण है कि लोग इस दिन दान-पुण्य से जुड़े रहते हैं।
इस बार पूर्णिमा (Ashadha Purnima 2024) 21 जुलाई को मनाई जाएगी, तो आइए इस तिथि पर दिए जाने वाले अर्घ्य की सही विधि जानते हैं, जो इस प्रकार है -
आषाढ़ पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई दिन शनिवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसकी समाप्ति 21 जुलाई दिन रविवार को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर होगी। हिंदू धर्म में उदयातिथि मान्य है, इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी।
इस विधि से चंद्रमा को दें अर्घ्य
- साधक प्रात: उठकर गंगा नदी या घर पर पवित्र स्नान करें।
- अपने घर के मंदिर को साफ करें।
- मंदिर में चंद्र देव की प्रतिमा स्थापित करें और विधिपूर्वक उनकी पूजा करें।
- इसके बाद शाम के समय फिर से स्वच्छ हो जाएं।
- अर्घ्य के जल में चांदी या फिर तांबे के सिक्के, अक्षत, रोली, सफेद फूल, पान, सुपारी, कच्चा दूध आदि चीजें मिलाएं।
- इसके बाद भाव के साथ चंद्र देव को जल अर्पित करें।
- आरती से पूजा को समाप्त करें।
- चांद की रौशनी में कुछ देर बैठकर ध्यान करें।
- वैदिक मंत्रों का जाप करें।
चंद्रोदय समय
21 जुलाई, 2024 शाम 6 बजकर 47 मिनट पर।इन बातों का रखें ध्यान
चंद्र देव को अर्घ्य देते समय भूलकर भी जूता, चप्पल न पहनें। पवित्रता का खास ख्याल रखें। सही दिशा में मुख करके अर्घ्य दें। अर्घ्य के दौरान तामसिक चीजों से दूर रहें। इसके साथ ही अर्घ्य के दौरान भगवान चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें। साथ ही ब्रम्हचर्य का पालन अवश्य करें।
चंद्र देव अर्घ्य मंत्र
- ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
- ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।