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Masik Kalashtami 2024: आश्विन माह में कब है कालाष्टमी? जानें पूजा का सही समय और अन्य जानकारी

कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2024) पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन तंत्र विद्या सिखने वाले साधक काल भैरव देव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है और मृत्यु लोक में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा घर में उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 03 Sep 2024 02:10 PM (IST)
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Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर संध्याकाल में होती है पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मासिक कालाष्टमी के त्योहार को बहुत ही शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी मनाई जाती है। इस खास अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही साधक काल भैरव देव के निमित्त व्रत रखते हैं। आइए, आश्विन माह में पड़ने वाली कालाष्टमी (Kalashtami 2024) की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानते हैं।

मासिक कालाष्टमी शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर को दोपहर में 12 बजकर 38 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 25 सितंबर को दोपहर में 12 बजकर 10 मिनट पर होगा। ऐसे में 25 सितंबर को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।

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मासिक कालाष्टमी पूजा विधि

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें।
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • चौकी पर भगवान काल भैरव की मूर्ति को विराजमान करें।
  • अब उन्हें सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
  • दीपक जलाकर आरती करें।
  • मंत्रों का जप करें।
  • फल और मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं।
  • जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
  • रात्रि में भजन-कीर्तन करें।
  • अगले दिन व्रत का पारण करें।
  • श्रद्धा अनुसार दान करें।

मासिक कालाष्टमी पूजा सामग्री

बेलपत्र, दूध, ऋतु फल, फूल, धूप, गंगाजल, शुद्ध जल, चंदन, काला कपड़ा, अक्षत, सरसों का तेल, मिट्टी का दीपक आदि।

न करें ये गलतियां

  • कालाष्टमी के दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए।
  • मांसाहारी भोजन और शराब के सेवन से दूर रहना चाहिए।
  • किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
  • किसी के प्रति मन में गलत नहीं सोचना चाहिए।

काल भैरव देव के मंत्र

  • ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
  • ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
  • ॐ ह्रीं बटुक! शापम विमोचय विमोचय ह्रीं कलीं।
  • र्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम् । द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।