Asthi Visarjan: अंतिम संस्कार के बाद क्यों चुनी जाती हैं अस्थियां? गरुड़ पुराण में मिलता है जिक्र
सनातन शास्त्रों में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कार बताए गए हैं जिनका पालन करना जरूरी माना गया है। इंसान की मृत्यु के बाद दाह संस्कार (Dah Sanskar) विधिपूर्वक के बाद दाह संस्कार किया जाता है और इसके बाद पवित्र जल स्रोत या गंगा नदी में अस्थियों को विसर्जित किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं अंतिम संस्कार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Asthi Visarjan: सनातन धर्म में व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद कई तरह की परंपरा निभाई जाती हैं। इनमें से एक है अस्थि विसर्जन। अंतिम संस्कार किए जाने के बाद अस्थियों को इकट्ठा करने का विधान है। इसके बाद अस्थियों (Asthi Visarjan in Hindi) को गंगा नदी या पवित्र में विसर्जित किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है ऐसा क्यों किया जाता है। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं गंगा नदी में अस्थियों को क्यों विसर्जित किया जाता है?
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तीन दिन बाद ही क्यों चुनी जाती हैं अस्थि
सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं जिनमें से 16वां संस्कार अंतिम संस्कार होता है। इसका उल्लेख गरुड़ पुराण में देखने को मिलता है। अठारह पुराणों में से गरुड़ पुराण एक है। इसमें जन्म और मरण से संबंधित समय के बारे उल्लेख किया गया है। व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को संचय (इकट्ठा) किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अस्थियों इकट्ठा को मृत्यु के तीसरे, सातवें और नौवें दिन किया जाता है। इसके बाद दस दिनों के भीतर गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृतक के अंतिम संस्कार के तीसरे दिन अस्थियों को इकट्ठा करना महत्वपूर्ण होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि मंत्रों के जप की मदद से अस्थियों में तेज तत्वों की संयुक्त तरंगों का संक्रमण तीन दिनों तक रहता है। मृतक की अस्थियों को गंगा नदी के अलावा नर्मदा नदी, गोदावरी नदी, कृष्णा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी आदि नदी में किया जा सकता है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।pic credit - freepik
इस वजह से किया जाता है अस्थि विसर्जन
सनातन धर्म में अस्थि विसर्जन को अधिक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों माना जाता है। शरीर में से आत्मा निकलने के बाद नए जीवन में चली जाती है। शरीर पांच तत्वों से बना होता है। दाह संस्कार किए जाने के बाद शरीर पांच तत्वों में विलीन हो जाता है। अस्थियों को नदी में विसर्जित इसलिए किया जाता है क्योंकि इंसान संसार से मुक्त हो जाए। यह भी पढ़ें: Pardeshwar Mahadev Temple: देश का इकलौता ऐसा मंदिर, जहां स्थित है सबसे भारी शिवलिंगअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।pic credit - freepik