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Shri Ram Namkaran: इस वजह से दशरथ राघव कहलाएं भगवान श्रीराम, यहां जानें

अयोध्या नगरी को श्रीरामोत्सव को लेकर खूबसूरत तरीके ढंग से सजाया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर देश-विदेश में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसकी तैयारियां पिछले कई महीनों से चल रही हैं। रामचरित मानस में भगवान श्रीराम के राज्यभिषेक का जिक्र किया गया है वहीं रामायण में भगवान श्रीराम के महाप्रयाण के बारे में बताया गया है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Mon, 22 Jan 2024 09:55 AM (IST)
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Shri Ram Namkaran: इस वजह से दशरथ राघव कहलाएं भगवान श्रीराम, यहां जानें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Ram Namkaran: अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होगा। इस दिन का देश-विदेश के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन के लिए सभी तैयारियां लगभग हो चुकी हैं। अयोध्या नगरी को श्रीरामोत्सव को लेकर बेहतर ढंग से सजाया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर देश-विदेश में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसकी तैयारियां पिछले कई महीनों से चल रही हैं।

भगवान श्रीराम ने पवित्र ग्रंथों (रामायण और रामचरित मानस) में अहम भूमिका निभाई है। रामचरित मानस में भगवान श्रीराम के राज्यभिषेक का जिक्र किया गया है, वहीं रामायण में भगवान श्रीराम के महाप्रयाण के बारे में बताया गया है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मर्यादा पुरुषोत्तम रामलला के जन्म के कितने दिन बाद उनका नामकरण हुआ और कैसे रखा गया भगवान श्री राम का नाम ।

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रामायण श्लोक

ततो य्रूो समाप्ते तु ऋतुना षट् समत्युय:।

ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ॥

नक्षत्रेsदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पंचसु।

ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥

प्रोद्यमाने जनन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम् ।

कौसल्याजयद् रामं दिव्यलक्षसंयुतम् ॥

वाल्मीकि रामायण के इस श्लोक के अनुसार, भगवान राम ने चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लिया था। पुनर्वसु 27 नक्षत्रों में सातवां नक्षत्र है। इसका स्वामी बृहस्पति ग्रह माना गया है। उनके जन्म के समय ग्रहों की स्थिति बहुत शुभ थी।

रामलला का नामकरण

ग्रंथ के अनुसार, भगवान राम के जन्म के बाद उनका नाम दशरथ राघव रखा गया, लेकिन गुरु महर्षि वशिष्ठ ने उनका नामकरण किया था। भगवान विष्णु के हजार नामों का जिक्र श्री विष्णु सहस्त्रनाम में किया गया है, जिसमें विष्णु जी का 394वां नाम ‘राम’ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान राम जी के अलावा महर्षि वशिष्ठ ने भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण का भी नामकरण किया था।

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महर्षि वशिष्ठ के मुताबिक, राम शब्द दो बीजाणु से मिलकर बना है। पहली अग्नि बीज दूसरा अमृत बीज। राम के नाम का अर्थ प्रकाश विशेष से है। इसमें रा का अर्थ प्रकाश और म का अर्थ विशेष है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'