Move to Jagran APP

Bach Baras 2024: बछ बारस व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि से लेकर सब कुछ

भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर बछ बारस व्रत किया जाता है। इस पर्व को मुख्य रूप से गौ पूजा के लिए समर्पित माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के गाय और बछड़ो से बहुत प्रेम था इसलिए यह पर्व मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं बछ बारस की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त आदि सहित अन्य जानकारी।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 30 Aug 2024 12:50 PM (IST)
Hero Image
Bach Baras 2024: जानिए बछ बारस की शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं की अनुसार, जन्माष्टमी के चार दिन बाद बछ बारस का पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से यह व्रत महिलाएं द्वारा किया जाता है, जिसमें वह अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए कामना करती हैं। साथ ही इस दिन गौमाता की बछड़े (Bach Baras 2024 Puja Vidhi) के साथ पूजा करने का विधान है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गौमाता में समस्त तीर्थ और देवी-देवताओं का वास माना गया है। इसलिए गौमाता के निमित्त बछ बारस का व्रत रखना बहुत ही शुभ माना जाता है।

बछ बारस शुभ मुहूर्त (Bach baras ka shubh muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत गुरुवार 29 अगस्त को रात्रि 01 बजकर 37 मिनट पर होगी, जिसका समापन शुक्रवार, 30 अगस्त को रात्रि 02 बजकर 25 मिनट पर होने जा रहा है। द्वादशी तिथि का सूर्योदय 30 अगस्त को होगा, इसलिए यह व्रत 30 अगस्त को ही रखा जाएगा।

इस तरह करें पूजा (Bach Baras 2024 Puja Vidhi)

बछ बारस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद विधि-विधान पूर्वक गौमाता व बछड़े की पूजा करें। इस दिन घर में मिट्टी व गोबर आदि से बनी तलैया (बावड़ी) बनाएं और उसे फूलों आदि से सजाएं। अब इसमें कच्चा दूध और पानी भरकर कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करें। इसके बाद बछ बारस व्रत की कथा सुनें। इसी के साथ इस दिन गाय को रोली का टीका लगाकर हरा चारा खिलाएं व परिवार की खुशहाली के लिए कामना भी करें।

यह भी पढ़ें - Pradosh Vrat 2024: अगस्त में तीसरी बार रखा जाएगा प्रदोष व्रत, ऐसे बन सकते हैं शिव जी की कृपा के पात्र

इन बातों का रखें ध्यान

बछ बारस व्रत के दिन गेंहू से बने पकवान खाने की मनाही होती है। इस के स्थान पर घरों में बाजरे की रोटी और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है। यदि इस दिन गाय और बछड़े की पूजा करना संभव नहीं है, तो आप मिट्टी से इनकी मूर्ति तैयार कर सकते हैं या फिर बछ बारस के चित्र की पूजा भी की जा सकती है।

यह भी पढ़ें - Ganesh Chaturthi 2024: कब शुरू होगा गणेश महोत्सव? जानें स्थापना, पूजा और विसर्जन का समय

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।