Bada Mangal 2024: कर्ज मुक्ति के लिए साल के पहले बड़ा मंगल पर करें यह काम, होगा सभी दुखों का अंत
ज्येष्ठ माह के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal 2024) कहा जाता है। इस साल का पहला बड़ा मंगल 28 मई 2024 को पड़ रहा है। इस दिन बजरंगबली की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि वीर हनुमान की आराधना करने से जीवन की सभी मुश्किलें दूर होती हैं। साथ ही घर में शुभता का आगमन होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bada Mangal 2024: ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। हिंदू धर्म इसका विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान भगवान हनुमान के वृद्ध स्वरूप की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है उनकी पूजा करने से कर्ज जैसी तमाम बड़ी मुश्किलों से छुटकारा मिल जाता है।
साल 2024 में चार बड़े मंगल आएंगे, जिसमें पवन पुत्र की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होगा। इसके अलावा इस दिन यहां दिए गए हनुमान स्तोत्र व स्तुति का पाठ भी करना चाहिए, जो कर्ज की समस्या के लिए बेहद कारगर है।
''श्री हनुमान स्तोत्र''
''वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं। वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न॥
भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्॥१॥सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न।इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ।कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम्॥३॥
सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम्।प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः॥४॥प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत्।विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम्॥५॥नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम्।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम्॥६॥रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम्।विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम्॥७॥नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः।सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम्॥८॥
इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः।प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह॥९॥नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे। लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्''॥