Baisakhi 2024: बैसाखी पर दुर्लभ शोभन योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा अक्षय फल
यह पर्व देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। खासकर उत्तर भारत में बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रबी फसल तैयार होने के उपलक्ष्य पर बैसाखी मनाया जाता है। इसमें तैयार फसल को सबसे पहले अग्नि देव को अर्पित किया जाता है। इसके बाद भोजन पकाकर ग्रहण किया जाता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 03 Apr 2024 03:57 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Baisakhi 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार 13 अप्रैल को आत्मा के कारक सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। अतः 13 अप्रैल को मेष संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन खुशियों का त्योहार बैसाखी भी मनाया जाएगा। इसे कृषि पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। खासकर, उत्तर भारत में बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रबी फसल तैयार होने के उपलक्ष्य पर बैसाखी मनाया जाता है। इसमें तैयार फसल को सबसे पहले अग्नि देव को अर्पित किया जाता है। इसके बाद भोजन पकाकर ग्रहण किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो बैसाखी पर दुर्लभ शोभन योग का निर्माण हो रहा है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग के बारे में सबकुछ जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त एवं योग
बैसाखी के दिन पंचमी तिथि दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक है। इसके बाद चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस दिन नक्षत्र मृगशिरा है। वहीं, बैसाखी पर दुर्लभ शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 14 अप्रैल की रात 12 बजकर 34 मिनट (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) तक है। जबकि, रवि योग का निर्माण सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर संध्याकाल 09 बजकर 15 मिनट तक है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 57 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 46 मिनट परचन्द्रोदय- सुबह 09 बजकर 11 मिनट परचंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 03 मिनट पर