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Balaram Jayanti 2024: कब और कैसे भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का हुआ था विवाह?

जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी (Balaram Jayanti 2024) की मां रोहिणी थीं। बलराम जी को कई नामों से जाना जाता है। उन्हें हलधर और हलायुध भी कहा जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि बलराम जी शेषनाग के अवतार हैं। महाभारतकालीन महान योद्धा भीम और दुर्योधन इनके शिष्य थे। बलराम जयंती पर बलदाऊ जी की विशेष पूजा की जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 21 Aug 2024 09:34 PM (IST)
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Balaram Jayanti 2024: बलराम जयंती का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि बलराम जी को समर्पित है। इस दिन श्रद्धा भाव से बलदाऊ जी की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हुआ था। इस शुभ अवसर पर बलराम जयंती (Balaram Jayanti 2024) मनाई जाती है। धार्मिक मत है कि बलराम जी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बलराम जी का विवाह सतयुग कालीन कन्या रेवती से हुआ था? आइए, इस कथा को जानते हैं-  

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कथा

सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि सतयुग के दौरान रेवत नामक प्रतापी राजा था। राजा रेवत कुशल शासन और प्रजा की सेवा के लिए जाने जाते थे। उनकी प्रशंसा तीनों लोक में होती थी। राजा रेवत की पुत्री रेवती बेहद सुंदर और सुशील थीं। साथ ही सर्वगुण संपन्न थीं। रेवती के बड़े होने पर उनके विवाह की चिंता राजा रेवत को होने लगी। यह सोच राजा रेवत ने अपने मंत्री और पंडित जी से सलाह ली। इस समय रेवती से भी उनकी इच्छा पूछी गई।

तब रेवती ने कहा था कि संसार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से वह शादी करेगी। यह जान राजा रेवत ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि पुत्री रेवती के लिए पृथ्वी लोक पर कोई योग्य वर नहीं मिला। आप ही मार्ग प्रशस्त करें। वार्तालाप के दौरान ब्रह्मा जी ने द्वापरकालीन बलराम जी की जानकारी दी। कहते हैं कि वार्तालाप के दौरान ही सतयुग और त्रेतायुग बीत गया। उस समय ब्रह्मा जी ने राजा रेवत को बलराम जी से मिलने की सलाह दी।

जब राजा रेवत पृथ्वी पर पहुंचे, तो उनकी मुलाकात बलराम जी से हुई। उस समय उनकी पुत्री रेवती भी साथ में थीं। दोनों के कद में विशेष अंतर था। रेवती कद में बहुत लंबी थीं। वहीं, बलराम जी कद में छोटे थे। यह देख राजा रेवत चिंतित हो उठें। तभी बलराम जी ने रेवती के सिर पर अपना हल रखा। हल के बल या प्रभाव से रेवती की लंबाई छोटी हो गई। यह देख रेवत प्रसन्न हो उठे। उन्होंने तत्काल से विवाह की सहमति दे दी। उसके बाद बलराम जी और रेवती परिणय सूत्र में बंधे थे।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।