Banke Bihari Temple: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं है घंटी? बजाना भी है मना!
बांके बिहारी मंदिर कई रहस्यों और परंपराओं से घिरा हुआ है। इस पवित्र मंदिर (Shri Banke Bihari Ji Temple) में भगवान कृष्ण बाल स्वरूप में विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भक्त भक्ति के साथ दर्शन करने के लिए आते हैं उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन कल्याण की ओर अग्रसर होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मथुरा वृंदावन का प्राचीन बांके बिहारी मंदिर विभिन्न प्रकार के रहस्यों से भरा हुआ है। इस धाम में भक्त दूर-दूर से दर्शन की अभिलाषा लेकर आते हैं। पौराणिक कथाओं और ग्रंथों के अनुसार, इस धाम में भगवान कृष्ण बाल स्वरूप में विराजमान हैं। बता दें, वृन्दावन में कृष्ण जी को एक नहीं बल्कि कई मंदिर समर्पित हैं। ऐसे में आज हम आपको बांके बिहारी मंदिर के एक ऐसे दिलचस्प रहस्य के बारे में बताएंगे, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी।
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बांके बिहारी मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
आपको बता दें, बांके बिहारी मंदिर कई अनोखी परंपराओं से घिरा हुआ है, जो इस दिव्य परिसर के आकर्षण को और भी बढ़ा देता है। वहीं, इन परंपराओं में से एक घंटियों का न होना, हर कुछ मिनट में पर्दे का हटना, मंदिर के अंदर होने वाला निरंतर भजन-कीर्तन और भी बहुत कुछ शामिल है।इसके अलावा इस चमत्कारी स्थल में ऊंची आवाज में आरती भी नहीं की जाती है। हालांकि इसकी वजह भी प्रेम और भावनाओं से भरी हुई है।
मंदिर में नहीं है घंटियां
यदि कोई छोटा सा बच्चा सो रहा हो और आप उसके पास जाकर अचानक से घंटियां बजाने लगें और तेज आवाज में भजन-कीर्तन और आरती करने लगें, तो क्या होगा? यही की वह रो-रोकर पूरे घर को भर देगा और काफी ज्यादा परेशान हो जाएगा। दरअसल, बांके बिहारी मंदिर में घंटियों के न होने का मुख्य कारण यही है।
ऐसा माना जाता है कि इस धाम में कृष्ण जी बाल गोपाल स्वरूप में विराजमान हैं और घंटियों के बजाने से वे चौंकने के साथ-साथ परेशान भी हो सकते हैं, जिसके चलते इस धाम में घंटी नहीं लगाई गई है और नाही बजाई जाती है। लंबे समय से चली आ रही यह परंपरा भक्तों के मन में भगवान के प्रति प्रेम को दर्शाती है।यह भी पढ़ें: Hariyali Teej Vrat 2024: पहली बार रख रहीं हैं हरियाली तीज का व्रत, नव विवाहित महिलाएं रखें कुछ बातों का खास ख्याल
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