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Basant Panchami 2024 Wishes: अपनों को इन खास संदेशों से दें बसंत पंचमी की शुभकामनाएं

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का पर्व विशेष महत्व है। इस दिन पर मां सरस्वती की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। सनातन धर्म में देवी सरस्वती ज्ञान वाणी और कला की देवी मानी गई हैं। ऐसे में आप बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर अपने प्रियजनों को इन खास संदेशों द्वारा बसंत पंचमी की शुभकामनाएं (Basant Panchami Wishes) भेज सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 14 Feb 2024 10:43 AM (IST)
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Happy Basant Panchami 2024 Wishes बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Happy Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी के दिन स्वर और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां सरस्वती साधक को ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं। हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व न केवल बसंत ऋतु के आगनम का संदेश है बल्कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर बह्मा जी के मुख से मां सरस्वती की अवतरण भी हुआ था। ऐसे में आज यानी 14 फरवरी 2024 बुधवार के दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर आप इन खास संदेशों द्वारा अपनों को बसंत पंचमी दे सकते हैं।

बसंत पंचमी के शुभकामना संदेश

तू श्वेतवर्ण कमल पर विराजे,

हाथों में वीणा मुकुट सर पे साजे,

मन से हमारे मिटा दो अंधेरे

उजालों का हमको संसार दे मां

लेकर मौसम की बहार, आया बसंत ऋतु का त्योहार,

आओ हम सब मिल के मनाए, दिल में भर के उमंग और प्यार,

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।


मां सरस्वती की कृपा अर्जित करें,

बुरे को जीवन में वर्जित करें,

बना रहे सदा आपस में प्यार और दुलार,

आओ मिलकर मनाएं बसंत पंचमी का त्योहार।

रंग बरसे पीला और छाये सरसों सी उमंग,

आपके जीवन में सदा रहे

बसंत के ये अनमोल रंग छा जाएं,

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

यह भी पढ़ें - Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक सम्पूर्ण जानकारी यहां जानें

किताबों का साथ हो, कलम पर हाथ हो,

कॉपियां आपके पास हो, पढ़ाई दिन रात हो,

जिंदगी के हर इम्तिहान में आप पास हो,

जिह्वा में मृदु, रस भर शब्दों को कोमलता दो,

जीत सकूँ जीवन की हर प्रतियोगिता मैं,

माँ सरस्वती ऐसी वाणी का वर दो,

नव गति, नव लय, ताल छंद नव

नवल कंठ, नव जलद मंद्र रव।

नव नभ के नव विहग वृंद को

नव पर नव स्वर दे

वीणावादिनी वर दे

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'