Move to Jagran APP

Basant Panchami 2024 Date And Time: 14 फरवरी को मनाई जाएगी बसंत पंचमी, इस विधि से करें देवी सरस्वती की पूजा

Basant Panchami 2024 Date And Time बसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे लोग श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जानते हैं। इस साल यह पर्व 14 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा। इस विशेष दिन की पूजा के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 02 Feb 2024 01:48 PM (IST)
Hero Image
Basant Panchami 2024 Date And Time -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Basant Panchami 2024 Date And Time: बसंत पंचमी ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इसे लोग श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जानते हैं। इस विशेष दिन पर साधक खुद को ज्ञान से प्रबुद्ध करने और अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिए हंसवाहिनी की आराधना करते हैं। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा।

यह भी पढ़ें: Story 16000 Wives Of Krishna: भगवान कृष्ण की थीं 8 पटरानियां, इस वजह से किया था 16 हजार कन्याओं से विवाह

बसंत पंचमी 2024 तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल बसंत पंचमी 14 फरवरी दिन बुधवार को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी दोपहर 14:41 बजे से होगी और इसका समापन 14 फरवरी दोपहर 12:09 बजे होगा।

बसंत पंचमी पूजा विधि

  • इस शुभ दिन पर भक्त जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • घर के साथ अपने मंदिर को साफ करें।
  • फिर देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
  • कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • देवी को पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  • देवी सरस्वती को फल, मिठाई का भोग लगाएं।
  • सरस्वती मंत्रों का जाप करें।
  • भक्तिभाव के साथ मां सरस्वती की आरती करें।
  • अंत में शंखनाद करें।
  • ज्ञान की देवी को पेन और किताब अर्पित करें और बाद में प्रसाद के रूप में उसको ले लें।
  • व्रती प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलें।

मां सरस्वती की स्तुति

सरस्वतीं शारदां च कौमारी ब्रह्मचारिणीम्। वागीश्वरीं बुद्धिदात्री भारतीं भुवनेश्वरीम्।।

चंद्रघंटां मरालस्थां जगन्मातरमुत्तमाम्। वरदायिनी सदा वन्दे चतुर्वर्गफलप्रदमाम्।।

द्वादशैतानि नामानि सततं ध्यानसंयुतः।

यः पठेत् तस्य जिह्वाग्रे नूनं वसति शारदा।।

सरस्वती मंत्र

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यं जगद्व्यापनीं

वाणा-पुस्तक-धारिणीमभयदं जाड्यांधकारपम्।

हस्ते स्फ़टिक मालिक विदधति पद्मासने संस्थिताम्

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदं शारदाम्।

सरस्वती पूजन श्लोक

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।

वन्दे भक्तया वन्दिता च।

यह भी पढ़ें: Swami Vivekananda Quotes: स्वामी विवेकानंद के वचनों में छिपा है हर समस्या का समाधान, मिलती है आदर्श व्यक्ति बनने की प्रेरणा

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'