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कब और क्यों मनाई जाती है भड़ली नवमी? जानें मुहूर्त एवं योग

ज्योतिषीय गणना के अनुसार भड़ली नवमी (Bhadli Navami 2024) पर साध्य योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन शिववास संयोग भी बन रहा है। ज्योतिष साध्य योग को शुभ मानते हैं। इन शुभ योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी प्रकार के शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 03 Jul 2024 05:20 PM (IST)
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Bhadli Navami 2024: भड़ली नवमी पर शिववास का हो रहा है निर्माण
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhadli Navami 2024: हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि पाने के लिए व्रत रखा जाता है। गुप्त नवरात्र के दौरान दस महाविद्याओं की देवियों की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इस वर्ष गुप्त नवरात्र की नवमी तिथि 15 जुलाई को है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आषाढ़ महीने में भड़ली कब और क्यों मनाई जाती है और इसका धार्मिक महत्व क्या है ? आइए जानते हैं-

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कब मनाई जाती है भड़ली नवमी ?

सनातन धर्म में भड़ली नवमी का विशेष महत्व (Bhadli Navami Importance) है। यह पर्व हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि पर सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं। इसके लिए किसी ज्योतिष की सलाह लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। वर्तमान वर्ष में भड़ली नवमी के दिन विवाह समेत सभी प्रकार के कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त है।

कब है भड़ली नवमी ?

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी (Bhadli Navami Muhurat and Puja Vidhi) तिथि 14 जुलाई को संध्याकाल 05 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 15 जुलाई को शाम 07 बजकर 19 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। इसके लिए 15 जुलाई को भड़ली नवमी मनाई जाएगी।

धार्मिक महत्व

ज्योतिषियों की मानें तो भड़ली नवमी तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस तिथि पर शुभ कार्य करने के लिए ज्योतिष गणना की आवश्यकता नहीं पड़ती है। किसी भी समय जातक अपनी सुविधा के अनुसार शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्य का श्रीगणेश कर सकते हैं। इस तिथि पर शुभ कार्य करने से अक्षय तृतीया के समतुल्य फल प्राप्त होता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।