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Gayatri Jayanti 2024: भद्रावास योग में मनाई जाएगी गायत्री जयंती, नोट करें शुभ मुहूर्त एवं महत्व

हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 17 जून को गायत्री जयंती मनाई जाएगी। इस दिन मां गायत्री की पूजा और अर्चना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए साधक व्रत भी रखते हैं। मां गायत्री की उपासना करने से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 06 Jun 2024 03:57 PM (IST)
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Gayatri Jayanti 2024: भद्रावास योग में मनाई जाएगी गायत्री जयंती
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gayatri Jayanti 2024: हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। यह पर्व गंगा दशहरा के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस वर्ष 16 जून को गंगा दशहरा है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मां गायत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि मां गायत्री की पूजा करने से साधक को बड़े से बड़े काम में सफलता मिलती है। साथ ही साधक बुद्धिमान और विवेकवान बनता है। ज्योतिषियों की मानें तो गायत्री जयंती पर दुर्लभ भद्रावास का संयोग बन रहा है। साथ ही शिव योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में मां गायत्री की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे। आइए, योग और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं-    

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शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को प्रातः काल 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 18 जून को सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 17 जून को गायत्री जयंती मनाई जाएगी। इसके अगले दिन निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

भद्रावास योग

ज्योतिषियों की मानें तो गायत्री जयंती पर भद्रावास योग का निर्माण शाम 05 बजकर 38 मिनट से हो रहा है। यह योग पूर्ण रात्रि तक है। इस दौरान मां गायत्री की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भद्रावास पाताल में रहेंगी। भद्रा के पाताल में रहने के दौरान पृथ्वी के समस्त जीवों का कल्याण होता है।

शिव योग

गायत्री जयंती पर शिव योग भी बन रहा है। इस योग का निर्माण 17 जून को रात 09 बजकर 39 मिनट से हो रहा है। यह योग 18 जून को रात 09 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इस योग में मां गायत्री की उपासना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट पर

चंद्रोदय- दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर

चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 18 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 42 मिनट से 03 बजकर 38 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।