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Bhadrapad Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को चढ़ाएं ये पुष्प, दूर होंगे जीवन के सभी दुख

प्रदोष व्रत भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। यह महीने में दो बार आते हैं। इस बार यह व्रत 31 अगस्त को मनाया जाएगा। शनिवार को पड़ने की वजह से इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से इस बार का प्रदोष बेहद शुभ माना जा रहा है। ऐसे में इस शुभ तिथि पर भगवान शिव और पार्वती की पूजा अवश्य करें।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 30 Aug 2024 09:54 AM (IST)
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Bhadrapad Pradosh Vrat 2024: शिव जी को चढ़ाएं ये पुष्प।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शनि प्रदोष व्रत का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस माह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त, 2024 को पड़ रही है। ऐसे में इस दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा, तो आइए इस दिन शिव जी को प्रसन्न करने की आसान विधि जानते हैं।

शिव जी को चढ़ाएं ये पुष्प

भाद्रपद प्रदोष व्रत के दिन पारिजात, सफेद मदार, आक, कनेर, बेल, धतूरे आदि का फूल (Offer These Flowers To Lord Shiva) भगवान शिव को चढ़ाना अति शुभ माना जाता है, क्योंकि ये पुष्प भगवान शंकर को अति प्रिय हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इनमें एक भी फूल भोलेनाथ को अर्पित करते हैं, उन्हें शिव कृपा सदैव के लिए प्राप्त हो जाती है।

साथ ही उनके परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है और धन से जुड़ी सभी मुश्किलों का अंत होता है। ऐसे में इन पुष्पों को चढ़ाकर आप देवों के देव महादेव को तुरंत प्रसन्न कर सकते हैं।

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त को देर रात 02 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 01 सितंबर को देर रात 03 बजकर 40 मिनट पर होगा। इस दिन प्रदोष काल की पूजा का महत्व है। इसलिए 31 अगस्त को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। बता दें, इस दिन प्रदोष काल 06 बजकर 43 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप शिव पूजन कर सकते हैं।

शिव पूजन मंत्र

1. शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3.।। ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।