Pradosh Vrat 2024: भाद्रपद माह के पहले प्रदोष व्रत पर करें शिव जी की खास पूजा, मनचाही मुरादें होंगी पूर्ण
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का अपना एक विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत अच्छा होता है। इस व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती हैं। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा तो चलिए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत को बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है। यह व्रत प्रतिमाह में दो बार रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भक्त इस शुभ दिन पर विशेष रूप से भगवान शिव के नटराज स्वरूप की पूजा करते हैं, जिनकी पूजा से जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है। इस दिन 'संध्याकाल' में पूजन का विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra) का पाठ परम कल्याणकारी माना गया है, जो इस प्रकार है।
।।लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)।।
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
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