Bhadrapada Purnima 2023: इस दिन पड़ रही है भाद्रपद की पूर्णिमा, जानिए शुभ मुहूर्त और दान का महत्व
Bhadrapada Purnima 2023 सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। साथ ही हिंदू धर्म में भाद्रपद का महीना भी विशेष महत्व रखता है। ऐसे में भाद्रपद में पड़ने वाली पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत कब किया जाएगा। साथ ही जानते हैं पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 26 Sep 2023 11:21 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Bhadrapada Purnima 2023: वर्ष 2023 में भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 28 अगस्त को पड़ रही है, जिसका समापन 29 सितंबर को होगा। भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की भी शुरुआत हो जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि पूर्णिमा व्रत और दान आदि का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व।
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व (Bhadrapada Purnima Importance)
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भाद्रपद की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की भी शुरुआत होती है। साथ ही इस दिन स्नान-दान करना बहुत पुण्यदायी होता है। माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। यदि ऐसा करना संभव न हो तो आप घर में भी पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Bhadrapada Purnima Shubh muhurat)
भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 28 सितंबर शाम 06 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी। वहीं इसका समापन 29 सितंबर दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में पूर्णिमा का व्रत 28 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन रखा जाएगा। वहीं, दान आदि के लिए 29 सितंबर 2023, शुक्रवार का दिन शुभ होगा।यह भी पढ़ें - Pradosh Vrat 2023: इस दिन रखा जाएगा भाद्रपद माह का आखिरी प्रदोष व्रत, जानिए पूजा विधि और महत्व
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत पूजा विधि (Purnima vrat Puja Vidhi)
पूर्णिमा व्रत की तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान आदि करने के बाद साफ व पीले रंग के वस्त्र धारण करें। नदी के स्थान पर आप घर में भी पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।भगवान सत्यनारायण की विधिविधान पूर्वक पूजा-अर्चना करें और कथा सुनें। भगवान सत्यनारायण को पंजीरी, पंचामृत और चूरमें का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद अपने आसपास के लोगों में वितरित करें। पूर्णिमा का दिन जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार दान जरूर करें।
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