Bhaum Pradosh Vrat 2024: भद्रावास योग में मनाया जाएगा भौम प्रदोष व्रत, दूर होंगे सभी कष्ट
प्रदोष व्रत पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। साथ ही कर्ज संबंधी परेशानी दूर होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत पर भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करते हैं। भौम प्रदोष व्रत करने से व्रती को आर्थिक तंगी से निजात मिलती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 30 May 2024 03:01 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhaum Pradosh Vrat 2024: सनातन पंचांग के अनुसार, 04 जून को भौम प्रदोष व्रत है। यह पर्व हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास भी रखा जाता है। इस व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। भौम प्रदोष व्रत करने से व्रती को कर्ज की समस्या से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। ज्योतिषियों की मानें तो भौम प्रदोष व्रत पर भद्रवास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आइए, योग के बारे में जानते हैं-
यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी?
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 04 जून को देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 04 जून को रात 10 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत पर संध्याकाल और निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः 04 जून को भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
भद्रावास योग
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी मंगलवार 04 जून को रात्रि में 10 बजकर 01 मिनट से भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। भद्रावास योग पूर्ण रात्रि तक है। इस समय में भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।सर्वार्थ सिद्धि योग
भौम प्रदोष व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 10 बजकर 35 मिनट से हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक है। इस योग में शिव जी की साधना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।
यह भी पढ़ें: कब और कैसे हुई धन की देवी की उत्पत्ति? जानें इससे जुड़ी कथा एवं महत्व अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।