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Lord Vishnu: मोहिनी बन अमृत पान कराने से लेकर भस्मासुर को नाच नचाने तक, भगवान विष्णु ने किए ये 5 छल

भगवान विष्णु ने कई ऐसे छल किए हैं जिनके पीछे एक खास कारण मिलता है। उनके द्वारा किए गए ये छल देवताओं के लिए फायदेमंद साबित हुए। इसमें से एक प्रसंग ऐसा भी है जिसमें विष्णु के छल द्वारा शिव जी के प्राण बच गए। आज हम आपको भगवान विष्णु द्वारा किए गए ऐसे 5 छलों के बारे में बताने जा रहे हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 05 Jul 2024 03:44 PM (IST)
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Lord Vishnu भगवान विष्णु ने किए ये 5 छल।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश (भगवान शिव) में से एक हैं। साथ ही भगवान विष्णु जगत के पालनहार भी कहलाते हैं। धर्म की स्थापना और जन समाज के कल्याण के लिए उन्होंने कई अवतार लिए। इस दौरान उन्हें कई प्रकार के छल भी करने पड़े, जो दूसरों की भलाई के लिए जरूरी थे।  

बचाए शिव जी के प्राण

एक बार भस्मासुर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। इससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर भस्मासुर ने यह वरदान मांग कि मैं जिस पर भी हाथ रखूं, वह उसी समय भस्म हो जाए। भगवान शिव ने भस्मासुर को यही वरदान दे दिया। इसके बाद भस्मासुर भगवान शिव को भस्म करने के लिए उनके पीछे दौड़ पड़ा।

तब प्रभु श्री हरि विष्णु ने उनकी रक्षा के लिए मोहिनी अवतार लिया। उनका यह रूप देखकर भस्मासुर उनपर मोहित हो गया। जब मोहिनी नृत्य करने लगी तो भस्मासुर भी उसकी नकल करने लगा। जैसे ही मोहिनी ने अपने सिर पर हाथ रखा, उसी तरह भस्मासुर ने भी अपने सिर पर हाथ रख दिया, जिससे वह भस्म हो गया। इस तरह विष्णु जी के छल के द्वारा भगवान शिव के प्राणों की रक्षा हुई।  

मोहिनी बनकर असुरों से किया छल

जब दैत्यों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ तो उसमें अमृत भी निकला। अमृत पान करने के लिए देव-दानवों में झगड़ा होने लगा। इस स्थिति में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और छल से दानवों को छोड़कर देवताओं को अमृत पिला दिया। उनके इसी छल के कारण देवता अमर हो गए।

नारद जी को बनाया वानर

एक बार नारद जी के मन में विश्वमोहिनी के स्वयंवर में भाग लेने की इच्छा जागी। तब उन्होंने भगवान विष्णु से कहा कि मुझे अपने जैसा ही सुंदर और आकर्षक बना दिजिए। तब भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने नारद जी की वानर बना दिया। यह बात नारद जी नहीं जानते थे और वह उसी रूप में स्वयंवर में चले गए। तब विश्वमोहिनी ने नारद की जगह भगवान विष्णु के गले में वरमाला डाल दी। इस बात पर नारद अति क्रोधित हुए और उन्होंने विष्णु जी को स्त्री वियोग का श्राप दे दिया।

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वृंदा का सतीत्व भंग किया

जालंधर नाम के एक राक्षस की पत्नी वृंदा एक पतिव्रता नारी थी। उस राक्षस ने अपना आतंक से तीनों लोकों में फैलाया हुआ था। वृंदा के धर्म के चलते ही उसने एक बाद युद्ध में भगवान शिव को भी पराजित कर दिया था। तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर किया, जिससे वृंदा उनके करीब आई और उसका सतीत्व भंग हो गया। तब जाकर जालंधर को युद्ध में हराया गया।

राजा बलि से को भेजा पाताल लोक

राक्षसों का राजा बलि भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह बड़ा दानी और सत्यवादी राजा था। उसने अपने पराक्रम से तीनों लोकों को अपने अधीन कर लिया था। तब देवताओं की विनती सुनकर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग पृथ्वी मांगी। इसके बाद भगवान ने विराट रूप धारण कर पग से तीनों लोगों को नाप लिया। इसके बाद उन्होंने राजा बलि को पाताल लोक में भेज दिया।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।