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Bhai Dooj 2023: भाई दूज पर बहनें क्यों देती हैं भाई को नारियल का गोला, जानिए धार्मिक महत्व

Bhai Dooj Muhurat भाई दूज पर बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सफल जीवन के लिए व्रत भी रखती हैं। साथ ही इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर उनसे तिलक करवाते हैं और उन्हें भेंट देते हैं। भाई दूज पर बहनों द्वारा अपने भाई को दिए जाने वाले नारियल के गोले का भी विशेष महत्व है जानिए कैसे।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 15 Nov 2023 09:30 AM (IST)
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Bhai Dooj 2023 भाई दूज पर बहनें क्यों देती हैं भाई को नारियल का गोला।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhai Dooj 2023: हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस विशेष दिन पर बहने अपने भाई का तिलक करती हैं और उसके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। इस दिन बहनों द्वारा अपने भाईयों को नारियल का गोला भी दिया जाता है। आइए जानते हैं इसका धार्मिक महत्व।

तिलक करने का शुभ मुहूर्त

भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त देखकर ही भाई का तिलक करना चाहिए। ऐसे में भाई दूज के दौरान शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। 2 घंटे की इस अवधि में भाई का तिलक करना शुभ रहेगा।

यह है मान्यता

भाई दूज के दिन बहने अपने भाई को नारियल भेंट करती हैं। इसे बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के विशेष अवसर पर जो भी बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उन्हें नारियल का गोला देती हैं, उनके भाईयों का स्वास्थ्य हमेशा ठीक बना रहता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि नारियल का गोला देने से भाई बहन के बीच का अटूट प्रेम हमेशा बना रहता है। इससे भाईयों की आयु भी लंबी होती है, यही कारण है कि इस दिन बहनों द्वारा भाईयों का नारियल दिया जाता है।

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ऐसे हुई शुरुआत

भाई दूज की कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार जब यमुना ने यमराज को अपने घर आमंत्रित किया तो यमराज पहले को चिंता में पड़ गए, लेकिन बाद में उन्होंने इस आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। बहन के आदर सत्कार से यमराज बहुत ही प्रसन्न हुए। अपने भाई को विदा करते समय बहन यमुना ने उन्हें नारियल का गोला भेंट किया। जब यमराज ने इस ने इसका कारण पूछा तो यमुना ने कहा, “यह नारियल आपको मेरी याद दिलाता रहेगा”। माना जाता है कि इसी का बाद से यह परम्परा चली आ रही है।

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