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Bhai Dooj 2024: कैसे शुरू हुई भाई दूज मनाने की प्रथा? यमराज और यमुना से जुड़ी है इसकी कथा

दीवाली उत्सव के अंतिम दिन दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस शुभ अवसर पर बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। ऐसे में भाई अपनी बहन को जीवन में सदैव रक्षा करने का वचन देता है। आइए जानते हैं कैसे शुरू हुई भाई दूज (Bhai Dooj Katha) की प्रथा?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 03 Nov 2024 08:28 AM (IST)
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Bhai Dooj 2024: यहां पढ़ें भाई दूज की कथा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाई दूज के पर्व का बेहद खास महत्व है। यह त्योहार कार्तिक माह में मनाया जाता है। इस दिन यम देवता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस शुभ अवसर पर बहनें स्नान-ध्यान के बाद यम देव की पूजा करती हैं और अपने भाई के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और माथे पर तिलक करती हैं। इस दौरान कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कथा का पाठ करने से भाई और बहन के रिश्ते में मधुरता आती है। साथ ही भाई को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। आइए पढ़ते हैं भाई दूज की (Bhai Dooj Katha in Hindi) कथा।

भाई दूज 2024 कब है? (Bhai Dooj 2024 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 02 नवंबर, 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर हो गई है। वहीं, इस तिथि का समापन 03 नवंबर, 2024 को होगा। पंचांग के आधार पर इस साल भाई दूज का त्योहार आज यानी 3 नवंबर 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन तिलक (Bhai Dooj 2024 Tilak Muhurat) करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

भाई दूज कथा

पौराणिक कथा (Bhai dooj ki kahani) के अनुासर, सूर्यदेव के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी। यमराज को अपनी बहन यमुना से बेहद लगाव था। यमुना अपने भाई से बार-बार घर आने के लिए कहती। लेकिन अधिक काम होने की वजह से वह समय पर अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे। एक बार ऐसा समय आया कि यमुना ने यमराज को वचन दिया कि वह कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया तिथि पर यमुना से मिलने उनके घर आएंगे, लेकिन यमराज को यमुना के घर जाने में थोड़ा संकोच होने लगा, क्योंकि वह लोगों के प्राणों को हरते हैं, तो इस वजह से कौन उन्हें अपने घर बुलाएगा।

लेकिन इसके बाद भी वह यमुना के घर चले जाते हैं। जब यमराज बहन के घर पहुचें, तो वह भाई को देख बेहद प्रसन्न हुईं और उनकी सेवा की। यमुना ने अपने भाई के लिए कई तरह के पकवान बनाए। बहन की सेवा को देखकर यम बेहद खुश हुए और यमुना से कोई वर मांगने के लिए कहा। इसके बाद यमुना ने उनसे वचन लिया कि हर साल कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया तिथि पर वह मेरे घर आकर भोजन किया करें। यमराज ने भी उन्हें तथास्तु कहते हुए उन्हें तरह-तरह की भेंट भी दी। मान्यता के अनुसार, तभी से भाई दूज के पर्व को मनाने की शुरुआत हुई।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।