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Bhai Dooj Date 2024: भाई दूज पर करें देवी यमुना की पूजा, भय और बाधा से होगी सुरक्षा

भाई दूज का पर्व बेहद कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी सुरक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं जबकि भाई उन्हें उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। इस साल यह त्योहार (Bhai Dooj Date 2024) 3 नवंबर 2024 दिन शनिवार यानी कल मनाया जाएगा।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 02 Nov 2024 06:15 PM (IST)
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Bhai Dooj Date 2024: भाई दूज पर करें देवी यमुना की पूजा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भाई दूज का पर्व बेहद विशेष माना जाता है। यह दिन भाई-बहन के बीच पवित्र प्यार का प्रतीक है। भाई दूज पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का अंतिम दिन (Bhai Dooj) होता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों का तिलक करती हैं और उनके लिए पकवान बनाकर तैयार करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को गिफ्ट्स देते हैं, और उनकी सुरक्षा करने का अमिट वादा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन (Bhai Dooj Date 2024) देवी यमुना की पूजा और उनके पवित्र जल में स्नान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।

कहा जाता है, जो लोग इस शुभ अवसर पर देवी की विधिवत आराधना करते हैं और पूजा के दौरान यमुना चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें कभी अकाल मृत्यु प्राप्त नहीं होती है। साथ ही यम देव की बुरी दृष्टि उनके ऊपर नहीं पड़ती है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

।।यमुना चालीसा ।।

॥ दोहा ॥

प्रियसंग क्रीड़ा करत नित, सुखनिधि वेद को सार ।

दरस परस ते पाप मिटे, श्रीकृष्ण प्राण आधार ॥

यमुना पावन विमल सुजस, भक्तिसकल रस खानि ।

शेष महेश वदंन करत, महिमा न जाय बखानि ॥

पूजित सुरासुर मुकुन्द प्रिया, सेवहि सकल नर-नार ।

प्रकटी मुक्ति हेतु जग, सेवहि उतरहि पार ॥

बंदि चरण कर जोरी कहो, सुनियों मातु पुकार ।

भक्ति चरण चित्त देई के, कीजै भव ते पार ॥

॥ चौपाई ॥

जै जै जै यमुना महारानी । जय कालिन्दि कृष्ण पटरानी ॥१॥

रूप अनूप शोभा छवि न्यारी । माधव-प्रिया ब्रज शोभा भारी ॥२॥

भुवन बसी घोर तप कीन्हा । पूर्ण मनोरथ मुरारी कीन्हा ॥३॥

निज अर्धांगी तुम्ही अपनायों । सावँरो श्याम पति प्रिय पायो ॥४॥

रूप अलौकिक अद्भूत ज्योति । नीर रेणू दमकत ज्यूँ मोती ॥५॥

सूर्यसुता श्यामल सब अंगा । कोटिचन्द्र ध्युति कान्ति अभंगा ॥६॥

आश्रय ब्रजाधिश्वर लीन्हा । गोकुल बसी शुचि भक्तन कीन्हा ॥७॥

कृष्ण नन्द घर गोकुल आयों । चरण वन्दि करि दर्शन पायों ॥८॥

सोलह श्रृंगार भुज कंकण सोहे । कोटि काम लाजहि मन मोहें ॥९॥

कृष्णवेश नथ मोती राजत । नुपूर घुंघरू चरण में बाजत ॥१०॥

मणि माणक मुक्ता छवि नीकी । मोहनी रूप सब उपमा फिकी ॥११॥

मन्द चलहि प्रिय-प्रीतम प्यारी । रीझहि श्याम प्रिय प्रिया निहारी ॥१२॥

मोहन बस करि हृदय विराजत । बिनु प्रीतम क्षण चैन न पावत ॥१३॥

मुरलीधर जब मुरली बजावैं । संग केलि कर आनन्द पावैं ॥१४॥

मोर हंस कोकिल नित खेलत । जलखग कूजत मृदुबानी बोलत ॥१५॥

जा पर कृपा दृष्टि बरसावें । प्रेम को भेद सोई जन पावें ॥१६॥

नाम यमुना जब मुख पे आवें । सबहि अमगंल देखि टरि जावें ॥१७॥

भजे नाम यमुना अमृत रस । रहे साँवरो सदा ताहि बस ॥१८॥

करूणामयी सकल रसखानि । सुर नर मुनि बंदहि सब ज्ञानी ॥१९॥

भूतल प्रकटी अवतार जब लीन्हो । उध्दार सभी भक्तन को किन्हो ॥२०॥

शेष गिरा श्रुति पार न पावत । योगी जति मुनी ध्यान लगावत ॥२१॥

दंड प्रणाम जे आचमन करहि । नासहि अघ भवसिंधु तरहि ॥२२॥

भाव भक्ति से नीर न्हावें । देव सकल तेहि भाग्य सरावें ॥२३॥

करि ब्रज वास निरंतर ध्यावहि । परमानंद परम पद पावहि ॥२४॥

संत मुनिजन मज्जन करहि । नव भक्तिरस निज उर भरहि ॥२५॥

पूजा नेम चरण अनुरागी । होई अनुग्रह दरश बड़भागी ॥२६॥

दीपदान करि आरती करहि । अन्तर सुख मन निर्मल रहहि ॥२७॥

कीरति विशद विनय करी गावत । सिध्दि अलौकिक भक्ति पावत ॥२८॥

बड़े प्रेम श्रीयमुना पद गावें । मोहन सन्मुख सुनन को आवें ॥२९॥

आतुर होय शरणागत आवें । कृपाकरी ताहि बेगि अपनावें ॥३०॥

ममतामयी सब जानहि मन की । भव पीड़ा हरहि निज जन की ॥३१॥

शरण प्रतिपाल प्रिय कुंजेश्वरी । ब्रज उपमा प्रीतम प्राणेश्वरी ॥३२॥

श्रीजी यमुना कृपा जब होई । ब्रह्म सम्बन्ध जीव को होई ॥३३॥

पुष्टिमार्गी नित महिमा गावैं । कृष्ण चरण नित भक्ति दृढावैं ॥३४॥

नमो नमो श्री यमुने महारानी । नमो नमो श्रीपति पटरानी ॥३५॥

नमो नमो यमुने सुख करनी । नमो नमो यमुने दु: ख हरनी ॥३६॥

नमो कृष्णायैं सकल गुणखानी । श्रीहरिप्रिया निकुंज निवासिनी ॥३७॥

करूणामयी अब कृपा कीजैं । फदंकाटी मोहि शरण मे लीजैं ॥३८॥

जो यमुना चालिसा नित गावैं । कृपा प्रसाद ते सब सुख पावैं ॥३९॥

ज्ञान भक्ति धन कीर्ति पावहि । अंत समय श्रीधाम ते जावहि ॥४०॥

॥ दोहा ॥

भज चरन चित सुख करन, हरन त्रिविध भव त्रास ।

भक्ति पाई आनंद रमन, कृपा दृष्टि ब्रज वास ॥

यमुना चालिसा नित नेम ते, पाठ करे मन लाय ।

कृष्ण चरण रति भक्ति दृढ, भव बाधा मिट जाय ॥

॥ इति श्री यमुना चालीसा संपूर्णम् ॥

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