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Bhaum Pradosh Vrat 2024: कब है पौष महीने का आखिरी प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

Bhaum Pradosh Vrat 2024 पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 23 जनवरी को संध्याकाल 08 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। अतः 23 जनवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 09 Jan 2024 11:00 AM (IST)
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Bhaum Pradosh Vrat 2024: कब है पौष महीने का आखिरी प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhaum Pradosh Vrat 2024: हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस प्रकार पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 23 जनवरी को है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में मंगल का आगमन होता है। अतः साधक प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से पूजा-उपासना करते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं पूजा-विधि जानते है।

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शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 23 जनवरी को संध्याकाल 08 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। अतः 23 जनवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

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पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इस समय भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। साथ ही श्वेत रंग का वस्त्र धारण करें और व्रत संकल्प लें। इसके बाद भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पूजा गृह में एक चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

अब पंचोपचार कर विधि-विधान से महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। इस समय भगवान शिव को भांग, धतूरा, मदार के पत्ते, धतूरे के फूल, बेल पत्र आदि चीजें अर्पित करें। वहीं, माता पार्वती को लाल रंग के फूल अर्पित करें। इस समय शिव एवं पार्वती चालीसा का पाठ करें। प्रसाद में भगवान शिव को फल, मिश्री और पंचमेवा का भोग लगाएं। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर व्रत रखें। प्रदोष काल में पुनः पूजा-आरती कर फलाहार करें।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।