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Bhauma Pradosh Vrat 2024: साल का पहला प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक साथ, जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

Bhauma Pradosh-Masik Shivratri Vrat 2024 मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह साल का पहला प्रदोष व्रत है वहीं इसके साथ मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है। इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। यह व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी आज मनाया जा रहा है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Tue, 09 Jan 2024 10:26 AM (IST)
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Bhauma Pradosh-Masik Shivratri Vrat 2024: प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि शुभ संयोग
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Bhauma Pradosh-Masik Shivratri Vrat 2024: प्रदोष का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस खास दिन पर भगवान शिव की पूजा की जाती है। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह साल का पहला प्रदोष व्रत है वहीं इसके साथ मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है। इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। यह व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी आज मनाया जा रहा है।

भौमप्रदोष व्रत तिथि

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 8 जनवरी 2024 - रात्रि 11:58 बजे से

त्रयोदशी तिथि समाप्त - 9 जनवरी 2024 - रात्रि 10:24 बजे तक

प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि शुभ संयोग

आपको बता दें, 9 जनवरी को रात्रि 10: 24 के बाद चतुर्दशी तिथि का आरंभ हो जाएगा। वहीं 10 जनवरी रात्रि 08:10 मिनट पर इसका समापन होगा। यह साल का पहला

प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत है, जो एक ही दिन पड़ रहा है। यह शुभ संयोग जीवन के हर कष्टों एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाएगा। साथ ही इस दिन की गई पूजा से दोगुना लाभ होगा।

भौम प्रदोष और मासिक शिवरात्रि पर करें ये कार्य

  • भगवान शिव के मंदिर अवश्य जाएं।
  • शिव जी के मंत्रों का जाप करें।
  • भगवान शंकर का अभिषेक करें।
  • भोलेनाथ को बेलपत्र जरूर चढ़ाएं।
  • मनचाहे वर के लिए देवी सीता द्वारा जपित गौरी स्तुति का पाठ करें - 'जय जय गिरिवर राज किशोरी'।
भौम प्रदोष और मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • मंदिर को साफ करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें।
  • मां पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
  • देसी घी का दीया जलाएं और मोगरे के फूलों की माला अर्पित करें।
  • शाम के समय भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अवश्य करें।
  • चावल की खीर का भोग लगाएं।
  • शिव पंचमाक्षरी मंत्र और महा मृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं और मनचाही मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
  • आरती के साथ पूजा का समापन करें और प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलें।
भगवान शंकर प्रार्थना मंत्र

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

भगवान शंकर नमस्कार मंत्र

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

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