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Bhojan Ke Niyam: शास्त्रों में बताए गए हैं भोजन करने के ये नियम, ध्यान रखने पर मिलेगी मां अन्नपूर्णा की कृपा

हिंदू शास्त्रों में व्यक्ति की दिनचर्या से जुड़े कई जरूरी नियम बताए गए हैं जिनका ध्यान रखकर व्यक्ति भगवान की कृपा और निरोगी काया दोनों पा सकता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता है। ऐसे में यदि आप भोजन से संबंधित इन नियमों का ध्यान रखते हैं तो आपको इसका लाभ अपने जीवन में देखने को मिल सकता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Wed, 08 May 2024 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 04:37 PM (IST)
Bhojan Ke Niyam: शास्त्रों में बताए गए हैं भोजन करने के ये नियम

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhojan Ke Niyam in Hindi: वेदों और शास्त्रों में सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हर कार्य के लिए एक सही समय और उससे जुड़े जरूरी नियमों का वर्णन किया गया है। भोजन हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। कहा जा सकता है कि व्यक्ति का स्वास्थ्य उसके भोजन से ही जुड़ा होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भोजन करते समय किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए।

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सबसे पहले करें ये काम

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भोजन करने से पहले भोजन मंत्र का उच्चारण जरूर करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से भोजन हमारे शरीर में लगता है। साथ ही यह ईश्वर को धन्यवाद देने का भी एक तरीका है।

ये नियम है जरूरी

शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य को जमीन पर बैठकर ही भोजन करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से भोजन करते समय मनुष्य सकारात्मक रहता है, जिसका उसे अपने शरीर पर अनुकूल प्रभाव देखने को मिलता है। वहीं जमीन पर बैठकर खाना खाने से वह जल्दी पच जाता है।

ये है सही दिशा

शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति को हमेशा पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के लिए वह भोजन अधिक लाभकारी सिद्धि होता है। वहीं, दक्षिण दिशा की ओर किया गया भोजन प्रेत का माना जाता है और पश्चिम दिशा की ओर किया गया भोजन रोगों में वृद्धि करता है।

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इन बातों का रखें विशेष ध्यान

शास्त्रों में माना जाता है कि भोजन का अपमान करने से मां अन्नपूर्णा आपसे नाराज हो सकती है। ऐसे में हमेशा उतना ही भोजन लेना चाहिए, जितना आपको खाने की इच्छा हो। साथ ही परोसे हुए भोजन की कभी निंदा न करें।

ध्यान रखें कि टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिए और बिस्तर पर बैठकर भी भोजन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में यह भी माना गया है कि ईर्ष्या, भय, क्रोध और लोभ भाव में किया हुआ भोजन कभी भी पचता नहीं है। इसलिए भोजन करते समय इन नियमों का ध्यान जरूर रखें।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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