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Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या पर ब्रह्म योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा दोगुना फल

हर वर्ष आश्विन माह में पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि (sarva pitru amavasya 2024) तक पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति विशेष पर पितरों की असीम कृपा बरसती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 22 Sep 2024 06:16 PM (IST)
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Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन पितृ पक्ष का समापन होता है। गरुड़ पुराण में वर्णित है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ पृथ्वी लोक पर रहते हैं। वहीं, सर्वपितृ अमावस्या तिथि के दिन पितर पृथ्वी लोक से विदा होते हैं। अतः इस शुभ अवसर पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही अंतिम तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya Importance) पर दुर्लभ ब्रह्म योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसेगी।

 

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सर्वपितृ अमावस्या शुभ मुहूर्त ( Sarva Pitru Amavasya Shubh Muhurat)

आश्विन अमावस्या की तिथि 01 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार रात 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों के तर्पण एवं पिंडदान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक है। इसके पश्चात, जरूरतमंदों के मध्य दान अवश्य करें।

ब्रह्म योग

आश्विन अमावस्या पर दुर्लभ ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। इस योग का समापन 03 अक्टूबर को देर रात 03 बजकर 22 मिनट पर होगा। ज्योतिष ब्रह्म योग को शुभ मानते हैं। इस योग में पूजा-उपासना करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। इस समय पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को अवश्य शांति मिलती है।

सर्वार्थ सिद्धि योग

सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से हो रहा है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इस दिन उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 05 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 38 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से 02 बजकर 56 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 05 मिनट से 06 बजकर 30 बजे तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'