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Brahma Ji Puja: ब्रह्मा जी ने देवता, दानव और मनुष्य को क्यों दिया 'द' शब्द का उपदेश, जानिए इसका अर्थ

सनातन धर्म में ब्रह्मा जी को दुनिया का सृजनकर्ता माना गया है। एक बार देवता दानव और मनुष्यों ने ब्रह्मा जी से उपदेश मांगा। तब ब्रह्मा जी ने तीनों के लिए एक शब्द द दिया। आइए जानते हैं कि इस द अक्षर का सभी ने क्या मतलब निकाला।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 07 Jun 2023 03:14 PM (IST)
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Brahma Ji Puja ब्रह्मा जी ने देवता, दानव और मनुष्य को क्या दिया उपदेश।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Brahma Ji Puja: एक समय की बात है जब देवता, दानव तथा मनुष्य तीनों एक साथ ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। उन सभी ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की कि वे ब्रह्मा जी के शिष्य बनना चाहते हैं। वे शिष्य बनकर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे और उनकी सेवा करते हुए विद्या ग्रहण करेंगे। ब्रह्मा जी ने उन सभी की विनती स्वीकार कर ली। ब्रह्मा जी ने तीनों को 'द' अक्षर दिया। 'द' भले ही केवल एक शब्द था लेकिन तीनों के लिए इसका मतलब अलग-अलग था। इसके बाद ब्रह्मा जी ने बारी-बारी से तीनों से इस अक्षर का अर्थ पूछा।

देवताओं ने क्या दिया उत्तर

स्वर्गलोक देवताओं की निवास भूमि है। इसे भोग-विलास की भूमि भी कहा गया है। वहाँ वृद्धावस्था का अभाव है। देवता हमेशा सुखों में लिप्त रहते हैं। अपनी इस भोग युक्त जीवन शैली के कारण देवताओं ने 'द' का अर्थ दमन समझ लिया। इस दमन का अर्थ था इन्द्रियों पर संयम करना और अपनी इच्छाओं का दमन करना। प्रजापति ब्रह्मा जी ने पूछा कि आप लोग मेरे 'द' अक्षर का अर्थ समझ गए होंगे। देवताओं ने कहा कि आपने हमें इन्द्रिय-दमन की आज्ञा दी है। प्रजापति ने कहा कि मेरे 'द' का यही अर्थ है।

मनुष्य ने क्या निकाला 'द' का अर्थ

देवताओं के बाद मनुष्यों की बारी आई। ब्रह्मा जी ने उनसे भी 'द' अक्षर देकर उसका अर्थ पूछा। सर्व प्रथम मनुष्यों ने इस बात पर मंथन किया और अंत में निष्कर्ष निकाला कि हम मनुष्य कर्मयोनि में हैं। हम लोभ के वश में हैं। हमेशा धन संचय में ही लगे रहते हैं। इसलिए निश्चय ही ब्रह्मा जी ने हमें दान करने का उपदेश दिया है। मनुष्यों ने सविनय कहा कि हम लोग आपके इस अक्षर का अर्थ भली भांति समझ गए हैं। आपके कथन का तात्पर्य यह है कि हम अपने संग्रह से दान करें। ब्रह्मा जी ने कहा कि आपका कथन उचित है। ऐसा करने से आपका कल्याण होगा।

देवताओं के लिए क्या था उपदेश

अब असुरों के उपदेश ग्रहण करने का समय आ गया। प्रजापति ब्रह्मा जी ने उन्हें भी 'द' अक्षर का अर्थ पूछा। असुर भी समझ गये कि उनका स्वभाव हिंसक प्रवृत्तियों वाला है। ब्रह्मा जी ने उन्हें  'द' अक्षर का ज्ञान दिया है। इसका अर्थ यह है कि हम दूसरों पर दया करें। हिंसा का सहारा न लें। असुरों ने कहा कि आपने हमें यह उपदेश दिया है कि हम प्राणिमात्र पर दया करें। प्रजापति ब्रह्मा जी का कथन था कि आप लोगों ने बिल्कुल सही समझा। इसी से आप सबका कल्याण होगा।