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Brihaspati Dev: इस आरती से करें बृहस्पति देव को प्रसन्न, आर्थिक तंगी होगी दूर

गुरुवार का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु बृहस्पति की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है। इसके साथ ही धन के साथ यश की भी प्राप्ति होती है जो साधक बृहस्पति देव को खुश करने की कामना रखते हैं उन्हें गुरुवार के उपवास के साथ केले के वृक्ष की पूजा जरूर करनी चाहिए और विधिवत आरती करनी चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 19 Sep 2024 08:35 AM (IST)
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Brihaspati Dev : बृहस्पति देव की आरती।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गुरु बृहस्पति की पूजा शुभ मानी गई है। गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा करने से जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है। साथ ही साधक कल्याण की ओर अग्रसर होता है और जल्द विवाह का योग बनता है। वहीं, जिनकी कुंडली में गुरु की स्थिति खराब है, उन्हें गुरुवार के उपवास के साथ केले के वृक्ष की पूजा भी करनी चाहिए। पानी में हल्दी डालकर जल चढ़ाना चाहिए और गुरु बृहस्पति के वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। अंत में आरती से पूजा समाप्त करनी चाहिए। इसके बाद पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।

फिर गरीबों को भोजन खिलाएं और उन्हें कुछ दान आदि दें। ऐसा करने से बृहस्पति देव (Brihaspati dev) की की कृपा से जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं। साथ ही मनचाहा वर प्राप्त होता है।

।।बृहस्पति देव की आरती।।

जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा ।

छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।

विषय विकार मिटा‌ओ, संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।

जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।

बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

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।।बृहस्पति कवच (Brihaspati Kavach Lyrics)।।

अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञम् सुर पूजितम् ।

अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥

बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।

कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभीष्ठदायकः ॥

जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।

मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठं मे देवतागुरुः ॥

भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।

स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥

नाभिं केवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।

कटिं पातु जगवंद्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥

जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।

अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥

इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।

सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।