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Budh Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर शिव जी के साथ जरूर करें मां पार्वती की पूजा, दांपत्य जीवन होगा सुखी

शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक इस तिथि पर व्रत रखते हैं उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही उनसे भोलेनाथ खुश रहते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो बुध प्रदोष के दिन देवी पार्वती की भी खास पूजा करनी चाहिए। बता दें इस बार प्रदोष व्रत 03 जुलाई को मनाया जाएगा।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 01 Jul 2024 01:12 PM (IST)
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Budh Pradosh Vrat 2024: पार्वती चालीसा का पाठ -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना बेहद पुण्यदायी मानी जाती है। शिव पूजन के लिए प्रदोष व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन का उपवास करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2024) 03 जुलाई 2024, दिन बुधवार को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।

ऐसे में अगर आप शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको इस दिन पार्वती माता की भी खास पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही उनकी चालीसा का पाठ करना चाहिए, जो इस प्रकार है -

।।पार्वती चालीसा।।

।।दोहा।।

जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।

गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि।

।।चौपाई।।

ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे।

षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो।।

तेऊ पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हिय सजाता।

अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे।।

ललित ललाट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत् शोभा मनहर।

कनक बसन कंचुकि सजाए, कटी मेखला दिव्य लहराए।।

कंठ मंदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभा।

बालारुण अनंत छबि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी।।

नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजति हरि चतुरानन।

इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित।।

गिर कैलास निवासिनी जय जय, कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय।

त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी।।

हैं महेश प्राणेश तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे।

उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब।।

बूढ़ा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी।

सदा श्मशान बिहारी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर।।

कण्ठ हलाहल को छबि छायी, नीलकण्ठ की पदवी पायी।

देव मगन के हित अस किन्हो, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो।।

ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी।

देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो।।

भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा।

सौत समान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी।।

तेहि कों कमल बदन मुरझायो, लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो।

नित्यानंद करी बरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी।।

अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी, माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी।

काशी पुरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।।

भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।

रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।।

गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।

सब जन की ईश्वरी भगवती, पतिप्राणा परमेश्वरी सती।।

तुमने कठिन तपस्या कीनी, नारद सों जब शिक्षा लीनी।

अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा।।

पत्र घास को खाद्य न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ।

तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे।।

तब तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ।

सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए।।

मांगे उमा वर पति तुम तिनसों, चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।

एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए।।

करि विवाह शिव सों भामा, पुनः कहाई हर की बामा।

जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जन सुख देइहै तेहि ईसा।।

।।दोहा।।

कूटि चंद्रिका सुभग शिर, जयति जयति सुख खानि,

पार्वती निज भक्त हित, रहहु सदा वरदानि।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।