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Budhwar ke Upay: गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है बुधवार का दिन, इन उपायों को करने से बनी रहेगी कृपा

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू से पहले गणेश जी को जरूर याद किया जाता है ताकि वह कार्य बिना किसी विघ्न के पूरा हो सके। इसके साथ ही गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वह अपनों भक्तों के सभी दुख-दर्द हर लेते हैं। बुधवार के दिन को गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 02 Apr 2024 10:00 PM (IST)
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Budhwar ke Upay बुधवार के दिन करें ये उपाय।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Budhwar ke Upay in Hindi: सनातन धर्म में प्रत्येक दिन अगल-अगल देवी-देवता की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। ठीक उसी प्रकार बुधवार का दिन भगवान गणेश जी की आराधना के लिए समर्पित है। ऐसे में बुधवार के दिन गणपति जी की पूजा-अर्चना द्वारा विशेष कृपा की प्राप्ति की जा सकती है। ऐसे में आप बुधवार के दिन इन उपायों द्वारा कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

करें इस चीज का दान

बुधवार के दिन हरी मूंग की दाल का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही आप हरी मूंग की दाल का सेवन भी कर सकते हैं, क्योंकि यह लाभकारी माना जाता है। ऐसा माना जाता है, इससे कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही बुधवार के दिन शिवलिंग पर भी हरी मूंग अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक को जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

गणेश को अर्पित करें ये चीज

बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करते समय उन्हें शमी के पत्ते और दुर्वा अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि 21 दूर्वा की एक गांठ बनाकर गणेश जी के मस्तक पर चढ़ाई जाती है। ऐसा करने से भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की मनोंकामनाएं पूरी करते हैं।

गाय को खिलाएं ये चीज

हिंदू धर्म में माना गया है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता ह। ऐसे में बुधवार के दिन गाय को हरी घास या हरा चारा खिलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि गाय को हरा चारा कम से कम तीन महीने तक खिलाना चाहिए।

बुध मंत्रों का करें जप

  • ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः!
  • ॐ बुं बुधाय नमः अथवा ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः!
  • ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:
  • प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम। सौम्यं सौम्य गुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम।।
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