Chaiti Chhath 2024: चैती छठ में इन बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना खंडित हो सकता है व्रत
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है। चैत्र माह में आने वाली छठ को चैती छठ के नाम से जाना जाता है और वहीं कार्तिक माह में आने वाली छठ कार्तिकी छठ कहलाती है। इस दौरान लोग यमुना नदी में स्नान और पूजा-पाठ आदि करते हैं और यमुना मैया से अपने अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए कामना करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaiti Chhath 2024 Niyam: चैती छठ की शुरुआत चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है। ऐसे में 12 अप्रैल से नहाय खाय के साथ चैती छठ शुरुआत हो चुकी है। इसे यमुना छठ भी कहा जाता है। इस पर्व में महिलाएं 36 घंटे का लंबा व्रत करती हैं।
यमुना छठ शुभ मुहूर्त (Chaiti Chhath Shubh Muhurat)
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 13 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 14 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर होगा। इस दौरान नहाय खाय से लेकर सूर्य अर्घ्य का समय कुछ इस प्रकार रहेगा -
- नहाय खाय - 12 अप्रैल 2024, शुक्रवार
- खरना - 13 अप्रैल 2024, शनिवार
- संध्या अर्घ्य - 14 अप्रैल 2024, रविवार
- सूर्य अर्घ्य - 15 अप्रैल 2024, सोमवार
कैसे मनाई जाती है चैती छठ?
चैती छठ का पर्व की शुरुआत भी नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन व्रती महिलाएं यमुना नदी या फिर अन्य पवित्र जलस्तोत्र में स्नान करती हैं। इसके बाद सात्विक भोजन करती हैं। चैती छठ के दूसरे दिन खरना होता है, जिससे व्रत की शुरुआत मानी जाती है। यह व्रत लगभग 36 घंटों तक चलता है।
इस दिन प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर ही बनाया जाता है। इसके बाद महिलाएं स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है।
इन बातों का रखें ख्याल
- छठ के दौरान किसी भी बर्तन या पूजन सामग्री को झूठे हाथ से नहीं छुना चाहिए। ऐसा करने से व्रत खंडित माना जाता है।
- पूजा में फूल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि वह फूल टूटे हुए या फिर पशु-पक्षियों द्वारा खाए हुए नहीं होने चाहिए।
- चैती छठ के दौरान केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
- व्रत करने वाले को जमीन पर आसन बिछाकर सोना चाहिए।
- छठ पूजा में पहले इस्तेमाल किए गए बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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