Chaitra Navratri 2024 Day 8: इस विधि से करें नवरात्र के 8वें दिन मां महागौरी की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि (Chaitra Navratri 2024 Day 8) पर मां दुर्गा के दिव्य स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग देवी की पूजा विधि अनुसार करते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में आने वाली बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं। अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन का भी विधान है जिसे कुमारी पूजा के नाम से जाना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 8: नवरात्र का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस पावन समय में भक्त मां दुर्गा के 9 रूपों की अराधना करते हैं। आज चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि है। इस तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि देवी गौरी का राहु ग्रह पर पूर्ण नियंत्रण है। ऐसे में जो लोग राहु दोष से परेशान हैं उन्हें उनकी आराधना अवश्य करनी चाहिए, तो आइए यहां पूजा नियम के साथ - साथ शुभ मुहूर्त जानते हैं -
अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल चैत्र माह की अष्टमी तिथि 16 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार को बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल, 2024 दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर हो चुकी है। वहीं इसका समापन 16 अप्रैल, 2024 दोपहर 01 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में समय को देखते हुए अपनी पूजा को पूर्ण कर लें।
अष्टमी तिथि पूजा विधि
- मां महागौरी की पूजा के लिए सुबह स्नान करें और सफेद वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद पूजा स्थल व घर को अच्छी तरह साफ करें।
- मां महागौरी की प्रतिमा को गंगाजल से साफ करें।
- देवी को सफेद रंग अतिप्रिय है, इसलिए उन्हें सफेद पुष्प अर्पित करें।
- माता रानी को रोली व कुमकुम का तिलक लगाएं।
- देवी को इत्र लगाएं।
- मिठाई, पंच मेवा, फल, पूरी, हलवा और काले चने का भोग लगाएं।
- अष्टमी के दिन मां महागौरी के साथ कन्या पूजन करें।
- इस अलावा विधि अनुसार हवन करें।
- अंत में कपूर से आरती कर अपनी पूजा को समाप्त करें।
देवी महागौरी की स्तुति
- या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
देवी महागौरी का प्रार्थना मंत्र
- श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
माता महागौरी का कवच
- ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो। क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
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