Chaitra Navratri 2024 Day 7: इन मंत्रों के जप से मां काली को करें प्रसन्न, दुख और संकट हो जाएंगे दूर
मां काली बेहद दयालु एवं कृपालु हैं। अपने भक्तों की रक्षा और दुखों को दूर करने हेतु नवरात्र के दौरान भूलोक पर आती हैं। उनकी कृपा से भक्तों का उद्धार होता है। साथ ही सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक नवरात्र के सातवें दिन निशाकाल में मां काली की कठिन भक्ति और साधना करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 14 Apr 2024 07:02 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 7: सनातन शास्त्रों में जगत जननी मां काली की महिमा का गुणगान किया गया है। मां काली बेहद दयालु एवं कृपालु हैं। अपने भक्तों की रक्षा और दुखों को दूर करने हेतु नवरात्र के दौरान भूलोक पर आती हैं। उनकी कृपा से भक्तों का उद्धार होता है। साथ ही सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक नवरात्र के सातवें दिन निशाकाल में मां काली की कठिन भक्ति और साधना करते हैं। मां की कृपा से साधक को विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। सामान्यजन भी मनोकामना पूर्ति हेतु मां काली की पूजा भक्ति करते हैं। अगर आप भी मां काली को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्र के सातवें दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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मां काली के मंत्र
- क्रीं
- क्रीं ह्रुं ह्रीं॥
- क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्॥
- क्रीं कालिके स्वाहा॥
- हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा॥
- ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥
- क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥
- ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
- ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥
- ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥
- ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥
- ”ॐ क्रीं काली”
- ”ॐ श्री कालिकायै नमः”
- ”ॐ कलिं कालिका-य़ेइ नमः”
- ”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”
- क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
- ”कृन्ग कृन्ग कृन्ग हिन्ग कृन्ग दक्षिणे कलिके कृन्ग कृन्ग कृन्ग हरिनग हरिनग हुन्ग हुन्ग स्वा:”
- “ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात”
- ॐ क्रीं कालिकायै नमः
- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा
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